ये दौर है चुन-चुन कर पकड़ने का

मुझे पहले से आभास था और अब मैं सुन भी रहा हूं कि रिलांयस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) अपने 4 करोड़ ट्रेजरी शेयर (बगैर वोटिंग अधिकार वाले शेयर) 1098 रुपए के भाव से बेचेगी और हो सकता है कि ऐसा कल सुबह ही हो जाए। इससे बाजार में चहक बनी रह सकती है। बाजार अब गति पकड़ रहा है क्योंकि पहली तिमाही के लगभग सारे नतीजे जा चुके हैं और बस पूंछ बाकी रह गई है। अगला आवेग यह है कि मानसून जबरदस्त चल रहा है।

ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि इस बार खरीफ फसलों के बोवाई रकबे में औसतन 10 फीसदी की बढ़त हुई है। इससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति पर कसकर लगाम लगेगी। लेकिन बाजार के लिए इससे भी बड़ा ट्रिगर है बराक ओबामा। अमेरिकी राष्ट्रति जब भारत आएंगे तो बाजार को ऊंचाई पर रहना होगा ताकि भारत व अमेरिका की साझेदारी ज्यादा सार्थक और कामयाब हो सके।

जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि हमें निवेश के लिए चुनिंदा स्टॉक छांटने का तरीका अपनाना चाहिए। हम आईएफसीआई या बॉम्बे डाईंग जैसे स्टॉक में कभी गलत नहीं रहे। डीएलएफ, एचडीआईएल व आईबी रीयल्टी जैसे हमारे चुने स्टॉक काफी अच्छा कर रहे हैं और अभी इनमें काफी कुछ आना बाकी है। मैं तो एचडीआईएल पर दांव लगाने को तैयार हूं कि दो सालों में यह चार अंकों का भाव देख लेगा।

आरडीबी इंडस्ट्रीज के निदेशक बोर्ड में 20 सालों बाद बड़े बदलाव हुए हैं और वह भी रीयल्टी व्यवसाय को अलग करने के बाद। यह किस ओर इशारा करता है? निश्चित तौर पर कुछ बड़ी चीज होने जा रही है। बहुत कुछ देख-भाल कर इस स्टॉक पर राय बनानी होगी। जेटीआई (जापान टोबैको इंटरनेशनल) ने महज 5 अरब सिगरेट स्टिक्स पर 50 फीसदी हिस्सेदारी 300 करोड़ रुपए में ले ली और आईटीसी 134 अरब सिगरेट स्टिक्स की क्षमता पर 1,19,411 करोड़ रुपए का बाजार पूंजीकरण हासिल किए हुए है। आरडीबी के पास 20 अरब सिगरेट स्टिक बनाने की क्षमता है। इसका मूल्य निवेशकों को अभी तय करना है।

क्या आरडीबी के प्रवर्तक सुंदर लाल डूगर कंपनी को 72 करोड़ रुपए के मौजूदा बाजार पूंजीकरण पर बेचेंगे, जबकि वे पहले आईटीसी की तरफ से आया 250 करोड़ रुपए का ऑफर ठुकरा चुके हैं? जवाब आपको तलाशना है। आरडीबी पहले जेटीआई से थोड़ी वार्ता चला चुकी है जिसमें उन्होंने इसके लिए 450 करोड़ रुपए के मूल्य का संकेत दिया था। कंपनी असल में बेचने के लिए ही बांटी गई है। लिस्टेड कंपनी का वास्ता केवल सिगरेट से रह गया है। डूगर ने अभी तो प्रबंध निदेशक का पद छोड़ा है। आगे निदेशक बोर्ड से ही उनके हट जाने की घोषणा निवेशकों को चौंका सकती है। आपको अभी थोड़ा जोखिम उठाकर आरडीबी का शेयर खरीद लेना चाहिए या कुछ खबर आ जाने के बाद इसे अधिक भाव पर खरीदना चाहिए, इसका फैसला आपके ऊपर है।

चिंता की बात केवल यह है कि रीयल्टी व्यवसाय को अलग कर देने के बाद इसका शेयर 160 से गिरकर 50 पर आ गया था (हालांकि अभी 71.45 रुपए पर है) और मुझे लगता है कि यह गंदा खेल ऑपरेटरों का था जो समूह की अन्य कंपनी आरडीबी रसायन के इश्यू की अपेक्षा कर रहे थे। डीमर्जर के बाद निवेशकों के लिए किसी स्टॉक की सही भाव आंकना बेहद मुश्किल है। यहीं पर ऑपरेटर अपना खेल खेलते हैं और एक्सचेंज बहाने बनाता है कि बाजार को सही मूल्य का निर्धारण करना है। यह सब बकवास है। सही मूल्य तो डीमर्जर की स्कीम का हिस्सा होना चाहिए ताकि शेयर के भाव निर्धारित मूल्य के हिसाब से चलें और निवेशकों को पता हो कि मूल्य का दायरा 20 फीसदी का रहेगा न कि असीमित छूट दे दी जाए। असल में ऐसी असीमित छूट देकर आप सटोरियों और ऑपरेटरों को खुला खेल खेलने का न्यौता देते हैं जिसमें छोटे निवेशकों के पास कोई सेफ्टीनेट नहीं होता।

इस्पात इंडस्ट्रीज में कायाकल्प का नया दौर आने को है। मार्च की तिमाही में कंपनी ने 2500 करोड़ रुपए की बिक्री पर 530 करोड़ रुपए का परिचालन लाभ हासिल किया था। 243 करोड़ का ब्याज और 118 करोड़ रुपए का टैक्स देने के बाद उसका शुद्ध लाभ 22 करोड़ रुपए था। कंपनी प्रमुख प्रमोद मित्तल ऑन-रिकॉर्ड कह चुके हैं कि एक साल में परिचालन लाभ मार्जिन बढ़कर 37 फीसदी हो जाएगा। कर प्रावधान केवल चौथी तिमाही में था। इस आधार पर हमारे विश्लेषक मानते हैं कि कंपनी इस तिमाही में 3000-3100 करोड़ रुपए की बिक्री और 840 करोड़ रुपए का परिचालन लाभ हासिल कर सकती है और कम ब्याज व टैक्स के बाद उसका शुद्ध लाभ शानदार रहेगा। इस स्टॉक को इसी तिमाही में नई रफ्तार पकड़नी है।

काश! ताकत के साथ हमारा विवेक भी बढ़ता रहे और हमें सिखाता रहे कि ताकत का जितना कम इस्तेमाल हम करेंगे, उतने ही ज्यादा हम विवेकवान बनते जाएंगे।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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