कोई भी कंपनी आज क्या है, निवेश के लिए इससे ज्यादा अहम होता है कि उसके भावी विकास का ग्राफ कहां जाता दिख रहा है। जब तक आपको कंपनी समझ में नहीं आ जाती, उसकी मजबूती और भावी विकास के बारे में आप आश्वस्त नहीं हो जाते, तब तक कतई निवेश न करे। आखिर आपकी गाढ़ी कमाई कहीं भागी तो नहीं जा रही। बस यह है कि अभी बैंक उसका फायदा उठा रहा है। आप समझदार हो जाएंगे तो यह फायदा आप उठा सकते हैं। लेकिन लालच में फंसकर कमाई डुबोने का कोई मतलब नहीं है।
आज चर्चा पेट्रोनेट एलएनजी की। इस साल 2 अप्रैल को इस कंपनी को बने तेरह साल हो जाएंगे। इसका गठन मूलतः देश में एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) के आयात और एलएनजी टर्मिनल बनाने के लिए किया गया था। चार सरकारी कंपनियों – गैल (इंडिया) लिमिटेड, ओएनजीसी, बीपीसीएल और इंडियन ऑयल ने मिलकर इसे बनाया था। 2006 में जब मैं सीएनबीसी आवाज में था, तब डीमैट एकाउंट खोलने के बाद पेट्रोनेट एलएनजी (बीएसई – 532522, एनएसई – PETRONET) के 100 शेयर मैंने 53 रुपए के भाव पर खरीदे थे। करीब साल भर देखा। शेयर 55-60 रुपए पर डोल रहा था। मैंने अधीर होकर उसे बेच डाला। लेकिन कल वही शेयर बीएसई में 127.95 रुपए पर बंद हुआ है। पिछले ही हफ्ते उसने 19 जनवरी को 136 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर बनाया है। सोचता हूं, उसमें बना रहता तो मेरा निवेश आज दोगुना हो चुका होता।
आखिर आज कौन-सा दूसरा माध्यम है जो पांच साल में आपकी पूंजी को दोगुना कर सकता है? यह फायदा होता है मजबूत कंपनी के शेयरों में निवेश करने और धैर्य रखने का। पेट्रोनेट एलएनजी ने गुजरात के दहेज में एनएलजी के आयात और फिर उसे तरल से गैस में बदलने का टर्मिनल लगा रखा है। उसने फ्रांस की गैस कंपनी गाज़ डी फ्रांस से रणनीतिक साझेदारी कर रखी है और कतर की कंपनी रास लफान से भारत में एलएनजी की सप्लाई के लिए बिक्री व खरीद समझौता कर रखा है।
कंपनी की भावी योजना दहेज के टर्मिनल में ही 2300 करोड़ रुपए की लागत से दो और स्टोरेज टैंक लगाने की है। उसके पास पहले से चार टैंक हैं। नए टैंकों के लग जाने से उसकी सालाना क्षमता एक करोड़ टन से बढ़कर डेढ़ करोड़ टन हो जाएगी। कंपनी यह क्षमता विस्तार वित्त वर्ष 2013-14 में सितंबर तक पूरा कर लेना चाहती है। कंपनी का निदेशक बोर्ड उसके कोच्चि टर्मिनल की सालाना क्षमता 25 लाख टन से बढ़ाकर 50 लाख टन करने की मंजूरी दे चुका है। यह काम 2012-13 की तीसरी तिमाही तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
पेट्रोनेट एलएनजी कतर समेत पश्चिम एशिया के कई देशों से कोच्चि टर्मिनल की गैस सप्लाई के लिए बातचीत कर रही है। वह ऑस्ट्रेलिया से साल भर में 25 लाख टन एनएलजी आयात का अनुबंध कर चुकी है। कंपनी अब बिजली उत्पादन के नए धंधे में उतरने की कोशिश में है। उसकी योजना गुजरात में 1200 मेगावॉट क्षमता का गैस-आधारित बिजली संयंत्र लगाने की है। इसकी अनुमानित लागत 4200 करोड़ रुपए है। यह संयंत्र दहेज के आसपास ही लगाया जाएगा और इसमें वह खुद अपनी गैस का एक हिस्सा इस्तेमाल करेगी। इसके लिए वह 125 एकड़ जमीन खरीद चुकी है।
ब्रोकर फर्म एसएमसी ग्लोबल के मुताबिक पेट्रोनेट एलएनजी अपनी ही प्रवर्तक कंपनियों – गैल व बीपीसीएल के साथ संयुक्त उद्यम लगाकर शहरों के गैस वितरण व्यवसाय में उतरने की कोशिश में है। बहुत साफ है कि पेट्रोनेट एलएनजी के भावी विकास का ग्राफ उठता नजर आ रहा है। कंपनी का शेयर इस समय 18.79 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 6.81 रुपए है। प्रति शेयर बुक वैल्यू 35.31 रुपए है। इस लिहाज से उसे बहुत सस्ता तो नहीं माना जाएगा। लेकिन जिन्हें इस कंपनी के भविष्य में भरोसा बनता है और जो चार साल का धैर्य रख सकते हैं, वे इस कंपनी के शेयरों में निवेश कर सकते हैं। कम से कम इस पर आपको किसी भी एफडी से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। और, कंपनी तो मजबूत और सुरक्षित है ही।
हां, अंत में कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स की चर्चा संक्षेप में। 26 जुलाई 2010 को जब हमने पहली बार इसे उठाया था, तब इसका पिछला बंद भाव 128.95 रुपए था। कल यह बीएसई में 281.65 रुपए पर बंद हुआ है। छह महीने में 118 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न! कंपनी के दिसंबर तिमाही के शानदार नजीजे आने की संभावना है। बताते हैं कि इसमें इसी हफ्ते 20 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है। लेकिन यह बाजार की चर्चा है, कोई भविष्यवाणी नहीं।