पेट्रोन इंजीनियरिंग नाम के अनुरूप इंजीनियरिंग व कंस्ट्रक्शन के काम में लगी कंपनी है। तेल व गैस, रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल, उर्वरक, सीमेंट व बिजली जैसे उद्योगों को अपनी सेवाएं बेचती है। यह 1976 में बनी कंपनी है। चार साल पहले तक पूरी तरह भारतीय कंपनी हुआ करती थी। लेकिन जनवरी 2008 के बाद से इसका नियत्रंण एक ब्रिटिश कंपनी काज़ स्ट्रॉय सर्विसेज (केएसएस) के हाथ में चला गया है।
वैसे तो केएसएस के पास कंपनी की 20.13 फीसदी इक्विटी ही है और प्रवर्तकों की कुल 72.47 फीसदी हिस्सेदारी में से 52.34 फीसदी भारतीय प्रवर्तकों के पास है। कंपनी के शीर्ष प्रबंधन में भी भारतीय लोग ही हैं। टी एस दास इसके प्रबंधन निदेशक हैं। लेकिन बागडोर दुनिया में ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन) उद्योग के जाने-माने नाम केएसएस के पास ही है। असल में भारतीय प्रवर्तक कई दशकों तक इस कंपनी को सफलतापूर्वक चलाने में बाद इससे निजात पाना चाहते थे क्योंकि एक तो वे काफी बुजुर्ग हो गए थे और दूसरे उनका कोई कानूनी वारिस नहीं था। इसलिए उन्होंने अपना धंधा केएसएस को बेच दिया।
कंपनी अच्छी चल रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 499.10 करोड़ रुपए की आय पर 30.95 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। पिछले तीन सालों में उसकी आय 18.26 फीसदी और शुद्ध लाभ 89.67 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ाया है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 87.37 फीसदी और सितंबर तिमाही में 67.27 फीसदी बढ़ा है। दिसंबर तिमाही के नतीजे उसने 1 फरवरी 2012 को घोषित किए। इनके मुताबिक साल की तीसरी तिमाही में उसकी आय 57.76 फीसदी बढ़कर 179.56 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 16.57 फीसदी बढ़कर 8.37 फीसदी करोड़ रुपए हो गया।
आय में ज्यादा और लाभ में कम वृद्धि की खास वजह है ज्यादा ब्याज अदायगी। दिसंबर 2010 की तिमाही में उसने 69.66 लाख रुपए का ब्याज चुकाया था, जबकि दिसंबर 2011 की तिमाही में ब्याज अदायगी इससे लगभग चार गुना बढ़कर 3.82 करोड़ रुपए हो गई। हालांकि कंपनी ने ऋण के ताजा आंकड़े नहीं घोषित किए हैं। लेकिन उसका ऋण इक्विटी अनुपात अब बढ़कर 0.73 पर पहुंच चुका है, जबकि बीते वित्त वर्ष 2010-11 के अंत में यह 0.22 ही था। लेकिन इसके बावजूद कंपनी में निवेश का योग बनता है।
शुक्रवार, 9 मार्च 2012 को उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 530381) में 260 रुपए और एनएसई (कोड – PETRONENGG) में 260.35 रुपए पर बंद हुआ है। फिलहाल दिसंबर 2011 तक के बारह महीनों का उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 53.36 रुपए है। इस तरह उसका शेयर इस समय मात्र 4.89 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। आज ज्यादा कुछ न कहकर बस इतना कहना है कि इसे चार-पांच साल के लिए खरीद सकते हैं क्योंकि यह 550 रुपए तक जाने का दमखम रखता है। यह शेयर जनवरी 2008 में 560 रुपए तक जा चुका है। फिलहाल इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 489.45 रुपए (29 अप्रैल 2011) और न्यूनतम स्तर 218.25 रुपए (20 दिसंबर 2011) का है। कंपनी को बराबर मिलते जा रहे ऑर्डर इस बात का संकेत हैं कि उसका भविष्य चमकता जाएगा।