भ्रष्टाचार के मंत्री-समूह से पवार बाहर, हजारे ने कहा – मंत्रिमंडल भी छोड़ें

कृषि मंत्री शरद पवार ने अण्णा हजारे के खुलकर सच बोलने के बाद भ्रष्टाचार पर बने मंत्रियों के समूह (जीओएम) से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन हजारे का कहना है कि पवार को मंत्री पद से भी इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार के इस्तीफे की खबर मिलने के बाद हजारे ने कहा, “जब वे मुख्यमंत्री थे, तब मैने पद्मश्री लौटा दिया था। मंत्रियों के समूह से पवार के इस्तीफा दे देने से हमारी समस्या सुलझी नहीं है। एक पवार हट गया तो दूसरा आ जाएगा। हम संयुक्त समिति चाहते हैं।”

खबरों के मुताबिक सरकार लोकपाल विधेयक को फिर से लिखने के लिए संयुक्त समिति भी बनाने की मांग को स्वीकार कर सकती है। इस सिलसिले में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी अपने कुछ सहयोगियों के साथ अण्णा हजारे से मिल सकते हैं। इस बीच हजारे का आमरण तीसरे दिन में प्रवेश कर गया। देश के कोने-कोने से उनके समर्थन में रैलियां होने और उपवास रखने के समाचार आ रहे हैं। हालांकि खुद आंदोलनकारी समूह में मतभेद भी उभरने लगे हैं। फिलहाल सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की सदस्य व प्रमुख सामाजिक कर्मी अरुणा रॉय हजारे से बराबर संपर्क बनाए हुए हैं।

बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने मंगलवार को सवाल उठा दिया था कि लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति की अगुवाई शरद पवार जैसे मंत्री कैसे कर रहे हैं जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के तमाम आरोप हैं और जिनके पास महाराष्ट्र में बहुत ज्यादा जमीन है। पवार अण्णा हजारे की इस टिप्पणी से परेशान हो गए और बुधवार को एक समारोह के दौरान कह दिया कि अगर उन्हें भ्रष्टाचार पर बने जीओएम सहित सभी मंत्री समूहों से मुक्ति दे दी जाए तो उन्हें बेहद खुशी होगी। इस बयान के कुछ घंटे बाद पवार ने जीओएम से इस्तीफा दे दिया।

वैसे, पवार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इस समय घिरते नजर आ रहे हैं। उनकी तरफ हाल में पुणे के गिरफ्तार व्यवसायी हसन अली ने भी इराशा किया है कि वह उनकी अवैध संपत्ति स्विस बैंकों में जमा कराने का काम करता था। इसके अलावा पवार जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब अंडरवर्ल्ड की डी कंपनी से भी उनके करीबी रिश्ते रहने का आरोप लगता रहा है। यह भी नोट करने की बात है कि पवार खुल्लम-खुल्ला चीनी लॉबी से लेकर कपास लॉबी के लिए काम करते रहे हैं।

असल में अण्णा हजारे के अनशन पर बैठ जाने के बाद पवार की काफी छीछालेदर हो रही है। कहा जाने लगा कि पवार को भ्रष्टाचार पर जीओएम का प्रमुख बनाए रहना वैसी ही बात है कि भेड़ों की रखवाली भेड़िए को, चीनी की हिफाजत का काम चीटियों को दे दिया जाए। यह जीओएम ही सरकार के लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर रहा है। लेकिन अब पवार को इस समूह से हटना पड़ा है। अण्णा की मांग है कि सरकार इस विधेयक का मसौदा तैयार करनेवाली समिति में सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल करे।

आपको पता ही होगा हजारे मंगलवार 5 अप्रैल की सुबह से राजधानी में जंतर-मंतर पर आमरण अनशन कर रहे है। वे ऐसे लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े उपाय होने चाहिए। उनकी खास मांग है कि लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति में 50 फीसदी लोग नागरिक व सामाजिक संगठनों के नुमाइंदे होने चाहिए। बीजेपी, शिवसेना व जेडी-यू जैसे राजनीतिक दल अण्णा हजारे का पूरा समर्थन कर रहे हैं।

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