वर्ष 2001-2008 के दौरान मोबाइल फोन सेवा कंपनियों को 2जी सेवाओं के लिए रेडियो स्पेक्ट्रम के आवंटन की प्रक्रिया की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शिवराज वी पाटिल समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।
न्यायमूर्ति पाटिल ने कहा कि उन्होंने आवंटन प्रक्रिया में कुछ खामियां पाई हैं और उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है, पर उन्होंने संवाददाताओं को खुद इसका विवरण देने से मना कर दिया। पाटिल ने दूरसंचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल को उनके कार्यालय में रिपोर्ट सौंपने के बाद संवाददाताओं से संक्षिप्त बातचीत में कहा, ‘‘आवंटन प्रक्रिया में कुछ खामियां पाई गई हैं। मैंने अपनी रपट में उसका उल्लेख किया है।’’ पाटिल ने इस रिपोर्ट का कोई विवरण देने से मना कर दिया।
संवाददाताओं के सवालों के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में उन अधिकारियों की पहचान की गई है, जो प्रक्रिया सबंधी गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार रहे हैं। पर उन्होंने इनके नाम या संख्या बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी तब उस समय सारे तथ्य सामने आ जाएंगे। एक सवाल के जवाब में न्यायमूर्ति पाटिल ने कहा उनके ऊपर (जांच को लेकर) अपनी अंतरात्मा के अलावा कोई ‘बाहरी दबाव’ नहीं था।