डेरिवेटिव सौदों में पिछले तीन दिनों से लांग पोजिशन को समेटा जा रहा है और नए शॉर्ट सौदे किए जा रहे हैं। मंदड़ियों को यकीन हो चला है कि सितंबर में हिन्डेनबर्ग अपशगुन घटेगा और उन्होंने बिना किसी भय के सारी शॉर्ट पोजिशन सितंबर तक बढ़ा दी है। अब वे दुनिया के बाजारों पर अपशगुन का कहर गिरने का इंतजार करेंगे ताकि भारतीय बाजार को गिराया जा सके। ज्यादातर फंड बराबर यही कहे जा रहे हैं कि बाजार इस समय महंगा है, लेकिन वे खरीद को रोकने के मूड में भी नहीं हैं। उनकी कथनी और करनी के इस फर्क के पीछे का क्या फंडा है, ये तो केवल फंड मैनेजर ही जानते होंगे।
इस सेटलमेंट के बारे में मुझे पूरा भरोसा है कि बाजार (निफ्टी) 5400 के नीचे नहीं जाएगा, बल्कि एक हल्की-सी संभावना है कि वह कल मंदड़ियों द्वारा फिलहाल पूरी कोर-कसर निकाल लेने के बाद 5630 और 5680 अंक तक चला जाए। बाजार अभी तक धीरे-धीरे बढ़ रहा था क्योंकि ब्याज दरें बढ़ने का भय सिर पर मंडरा रहा था। लेकिन अब देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के प्रमुख ने इस बात की तस्दीक की है कि सिस्टम में तरलता तकरीबन सूख चुकी है। इसलिए सीआरआर को बढ़ाने या ब्याज दरों में एक और वृद्धि की गुंजाइश बहुत मुश्किल लगती है। मुद्रास्फीति खुद-ब-खुद नीचे आती जाएगी क्योंकि चीजों, खासकर खाद्य वस्तुओं के दाम घटने शुरू हो गए हैं। यह एफएमसीजी सेक्टर के लिए बुरी खबर हो सकती है। लेकिन त्योहारों का मौसम उनके प्रबंधन को कम से कम अगली दो तिमाहियों तक बांधे रखेगा।
डर की बातें कितनी भी कर ली जाएं, लेकिन इतना तय है कि बाजार में बहुत ज्यादा करेक्शन नहीं आनेवाला। अभी तक ऐसा नहीं है कि एफआईआई या रिटेल ने बहुत ज्यादा खरीद कर रखी हो। पिछले दो सालों में जो भी तेजी आई है, उसकी वजह बैंकों, बीमा कंपनियों और खासकर एलआईसी की खरीद रही है; और ये सभी अभी बेचने की जल्दी में नहीं हैं। इसलिए बाजार में अगर करेक्शन भी आता है, तब भी शेयरों की सप्लाई सीमित ही रहनी है।
हां, सप्लाई ऑयल, एफएमसीजी और फार्मा जैसे सेक्टरों में आ सकती है जहां अपेक्षाकृत ज्यादा खरीद हो चुकी है और इनके शेयर बढ़े भी हैं। इन शेयरों से एफआईआई काफी हद तक मुनाफा निकाल सकते हैं। दिसंबर में बोनस की ख्वाहिश को पूरा करने से पहले उन्हें इन क्षेत्रों के शेयरों में अच्छी-खासी मुनाफावसूली करनी होगी। साथ ही मेटल, माइनिंग और रीयल्टी में अपना एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) बढ़ाना होगा। ये सभी सेक्टर अभी तक सुस्त चले हैं। सेंचुरी, बॉम्बे डाईंग, मारुति, एससीआई, पावर ग्रिड, डीएलएफ, आईबी रीयल एस्टेट, एस्सार ऑयल, इस्पात, जेपी, टाटा स्टील और सेल को अंडर-परफॉर्म स्टॉक की श्रेणी में रखा जा सकता है, जबकि टाइटन, हीरो होंडा, नेस्ले, डॉ. रेड्डीज, सिपला, पिरामल, डीवी’ज लैब्स, प्रॉक्टर एंड गैम्बल, जिलेट, कोलगेट, मैट्रिक्स, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, ऑयल इंडिया, टीसीएस, इनफोसिस और इम्फैसिस को ओवर-वैल्यूड स्टॉक की श्रेणी में माना जा सकता है।
फैसला आपको करना है क्योंकि अब भी मुझे लगता है कि आपने अभी तक उतना पैसा नहीं बनाया है कि आप 2007 वाले मूड में आ जाएं। यह मत कहें कि आपकी किस्मत खराब है, बल्कि इतनी मेहनत करें कि आपकी किस्मत खुद काम करने लग जाए।
खराब किस्मत को हरानेवाली एक ही चीज है और वह है कड़ी मेहनत।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
bazar main bhari girawat ki wajah to koi nahi dikhti lakin kal night main CNBC Awaaz ki head line thee “Bazar Bahut bade Jokhim main Bhari Girawat ke Aasar” unke kahne ke tarike se to yahi lag raha tha ki jaise aaj hi market gir jayega.Kai investors ne to rat ko hi plan bana diya hoga apna portfolio bechne ka.really these news channels creates drama and panic investors.Sebi ko thodi najar media par bhi rakhni chahiye.