ऑप्टो सर्किट्स: हर लिहाज से स्वस्थ

ऑप्टो सर्किट्स (इंडिया) लिमिटेड सौ फीसदी निर्यातोन्मुख इकाई (ईओयू) है। यह डिजिटल थर्मोमीटर, सेंसर, पल्स ऑक्सीमीटर, पेशेंट मॉनीटरिंग सिस्टम, स्टेंट व कैथेटर जैसे कई हेल्थकेयर उत्पाद बनाती है। उसने 2006 में कार्डिएक स्टेंट बनानेवाली जर्मन कंपनी यूरोकोर का अधिग्रहण किया था। कल ही उसने अपने सालाना नतीजे घोषित किए हैं जिनके मुताबिक वित्त वर्ष 2009-10 में समेकित स्तर पर उसकी शुद्ध बिक्री 32 फीसदी बढ़कर 1077.58 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 23 फीसदी बढ़कर 260.07 करोड़ रुपए हो गया है। कंपनी पिछले दस सालों से लगातार लाभांश दे रही है और इस बार भी उसने 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 4 रुपए (40 फीसदी) का लाभांश दिया है। लेकिन अच्छे नतीजों के बावजूद बीएसई में कल उसका शेयर 0.33 फीसदी गिरकर 224.40 रुपए और एनएसई में 2.09 फीसदी गिरकर 224.35 रुपए पर बंद हुआ है। अभी इसमें और गिरावट का अंदेशा है।

कंपनी का ईपीएस अभी 14.22 रुपए है। इस आधार पर उसके शेयर का पी/ई अनुपात बनता है 15.78, जबकि इसी स्तर की कंपनी सीमेंस हेल्थ का पी/ई अनुपात 28.15 चल रहा है। कंपनी ने बीते वित्त वर्ष में क्यूआईपी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) के जरिए संस्थागत निवेशकों को अपने शेयर 186.65 रुपए के भाव पर बेचकर 400 करोड़ रुपए जुटाए थे। साथ ही उसने प्रिफरेंशियल शेयर 210 रुपए के भाव पर जारी किए थे। इसे देखते हुए उसके शेयर का मौजूदा भाव बहुत सस्ता नहीं कहा जा सकता है। लेकिन, यकीकन दूरगामी निवेश के लिए यह अच्छा व सुरक्षित शेयर है।

इसकी वजह है कि कंपनी का रुख बहुत व्यवस्थित और आक्रामक है। वह नए से नए उत्पाद और नए से नए बाजारों तक पहुंच रही है। बीते साल ही उसने कोलकाता की एन एस रेमिडीज का अधिग्रहण किया है। नए बाजारों में लैटिन अमेरिका, अफ्रीका व दक्षिण अफ्रीका तक पहुंच बना रही है। कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक विनोद रमनानी हैं। कंपनी की 182.9 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 27.47 फीसदी है तो एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) का हिस्सा 34.59 फीसदी है। कंपनी के शेयर का 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 247.90 रुपए का रहा है। मतलब साफ है कि अब भी बीएसई के ए ग्रुप में शामिल इस शेयर में कम से कम 10 फीसदी बढ़ने की गुंजाइश है।

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