ऑयल इंडिया है निवेश के माफिक

ऑयल इंडिया सरकार की नवरत्न कंपनी है। कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के धंधे में है। सितंबर 2009 में इसका आईपीओ 1050 रुपए प्रति शेयर मूल्य पर आया था। शुक्रवार को यह बीएसई (कोड – 533106) में 3.18 फीसदी की गिरावट के साथ 1328.70 रुपए और एनएसई (कोड – OIL) में 2.32 फीसदी गिरकर 1336.30 रुपए पर बंद हुआ है। हो सकता है आज भी गिरावट आए। लेकिन कंपनी के कामकाज और भावी योजनाओं को देखें तो इस शेयर के जल्दी ही 1500 रुपए तक पहुंच जाने का अनुमान है। वैसे, इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 1635 रुपए (15 सितंबर 2010) और न्यूनतम स्तर 1061 रुपए (16 मार्च 2010) का रहा है।

स्पष्ट है कि कंपनी अपने शेयरधारकों को आईपीओ से लेकर अब तक के करीब सवा साल में 26.5 फीसदी का रिटर्न दे चुकी है और इससे आराम से 13 फीसदी और पाने की उम्मीद की जा सकती है। आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज के मुताबिक कंपनी का अनुमानित ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) चालू वित्त वर्ष 2010-11 में 129.7 रुपए और अगले वित्त वर्ष 2011-12 में 140.6 रुपए रहेगा। इस तरह यह शेयर चालू वित्त वर्ष के अनुमानित ईपीएस से 10.24 गुना या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि अगले वित्त वर्ष के अनुमानित ईपीएस के आधार पर इसका पी/ई अनुपात 9.45 चल रहा है।

अगर ठीक पिछले बारह महीनों के ईपीएस 106.69 रुपए को आधार बनाएं तो इसका मौजूदा पी/ई अनुपात 12.45 निकलता है। अगर इतना ही पी/ई अनुपात मानकर चलें तो अप्रैल 2012 तक इस शेयर को 1750 रुपए पर होना चाहिए। शेयर की बुक वैल्यू 630.58 रुपए है। इस तरह इसके शेयर भाव व बुक वैल्यू का अनुपात 2.11:1 का है, जबकि ओएनजीसी के शेयर का यही अनुपात 2.7:1 का है जो दिखाता है कि इसमें बढ़त की संभावना ओएनजीसी के बेहतर है। यह तो हुई वित्तीय अनुपातों की बात। अब देखते हैं कि कंपनी आगे क्या-क्या करने जा रही है, जिससे उसका धंधा और मुनाफा दोनों बढ़ सकता है।

ऑयल इंडिया एनईएलपी (न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी) के अंतर्गत पहला ऑफशोर ड्रिलिंग का काम मार्च-अप्रैल 2011 से शुरू करने जा रही है। कंपनी इसी के साथ कच्चे तेल के उत्खनन व उत्पादन में खुद को स्थापित कर लेगी। उसके पास देश में इस समय 65 ऑयल ब्लॉक हैं जिनमें से एनईएलपी के तहत हासिल ब्लॉकों की संख्या 30 है।

30 सितंबर 2010 तक कंपनी के पास रिजर्व व सरप्लस 14940.47 करोड़ रुपए और कैश व बैंक बैलेंस 9812.58 करोड़ रुपए का है। कैश से संपन्न यह कंपनी बीपीसीएल और इंडियन ऑयल के साथ मिलकर शहरी गैस वितरण (सीजीडी) में उतरने जा रही है। इस बिजनेस में विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं। अभी दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, इंदौर, विजयवाड़ा, वडोदरा व सूरत में सीजीडी नेटवर्क है। सरकार की योजना 2015 तक इसे 200 शहरों तक पहुंचा देने की है।

ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल की एक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने अगले दो सालों में 8500 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश की योजना बना रखी है। वह अमेरिका, पोलैंड व ऑस्ट्रेलिया में कुछ शेल गैस कंपनियों के साथ हाथ मिलाने या हथियाने की कोशिश में है। अगले तीन महीने में वह कम से कम विदेश की एक कंपनी हथिया लेना चाहती है। इसके लिए वह सात बैंकों से 4000 करोड़ रुपए पाने का अनुबंध कर चुकी है।

कंपनी के पास कच्चे तेल की 1157 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन भी है जो साल भर में 60 लाख टन कच्चा तेल रिफाइनरियों तक पहुंचाती है। इसी तरह उसने पेट्रोलियम उत्पादों की आवाजाही के लिए 17.2 लाख टन सालाना क्षमता की 741 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछा रही है। सूडान में बनी 741 किलोमीटर की पाइपलाइन में उसने इक्विटी लगा रखी है। इसके अलावा नुमालीगढ़ रिफाइनरी में उसकी 26 फीसदी हिस्सेदारी है। कुल मिलाकर यह कंपनी हम सभी के लिए इस साल का अच्छा निवेश साबित हो सकती है।

चलते-चलते एक और बात। आज एपीडब्ल्यू प्रेसिडेंट सिस्टम्स (बीएसई कोड – 590033) में फिर ऊपरी सर्किट लगने की पक्की संभावना है। इसमें सर्किट लिमिट 5 फीसदी की है और शुक्रवार को यह 5 फीसदी बढ़कर 157.50 रुपए पर बंद हुआ था। यह टीएस श्रेणी में है तो इसमें सारे सौदे डिलीवरी के लिए होते हैं। असल में कुछ उस्ताद लोग इसे खरीदने में जुटे हुए हैं और उनकी कोशिश इसे अगले कुछ दिनों में 15 फीसदी उठा देने की है। मेरी सलाह है कि इस शेयर पर बस नजर रखें और देखें कि कैसे खिलाड़ी किसी शेयर को योजना बनाकर उठा ले जाते हैं। हमें इसमें निवेश करने की कोई जरूरत नहीं है।

2 Comments

  1. आज भी एपीडब्ल्यू प्रेसिडेंट सिस्टम्स में ऊपरी सर्किट लगा . खरीदने से क्यों मना कर दिया। हम भी मुनाफा कमा सकते थे। बाजार लगभग 500 अंक गिरा तब यह हाल है।

  2. पारेख भाई, हमने एपीडब्ल्यू प्रेसिडेंट के बढ़ने की पूरी खबर को जानते हुए भी इसलिए इसमें खरीद की सलाह नहीं दी क्योंकि हम नहीं चाहते कि हमारे-आप जैसे आम निवेशक खबरों पर उछले ऐसे स्टॉक्स के चक्कर में पड़े जो कंपनियां आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं। यह शेयर इस समय अपने टीटीएम ईपीएस के आधार पर 119.45 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है जो बेहद महंगा कहा जाएगा। यह सच है कि फ्रांस की कंपनी स्नाइडर इलेक्ट्रिक एपीडब्ल्यू प्रेसिडेंट का अधिग्रहण कर रही है। इसकी औपचारिक घोषणा शुक्रवार 7 जनवरी को हो चुकी है। लेकिन जब यह कंपनी पटरी पर आएगी, तब की तब देखी जाएगी। अभी हम आप इसके शेयर ले भी लें तो शायद निकल नहीं पाएंगे क्योंकि खिलाड़ी दिन के शुरू होते ही इसे 5 फीसदी बढ़ाकर सौदे करेंगे और तत्काल सर्किट ब्रेकर लग जाएगा। यह शेयर केवल बीएसई में लिस्टेड है। इसलिए भी इसमें आपको लिक्विडिटी नहीं मिल पाएगी।
    मंगल व बुध को भी इस पर 5 फीसदी का सर्किट ब्रेकर लगेगा। यानी अभी 10 फीसदी बढ़ने की गुंजाइश है। आप चाहें तो इसे खरीद कर आजमा सकते हैं। लेकिन हमारा कहना है कि एक तो आप इसे ले नहीं पाएंगे। दूसरे, ले भी लिया तो शायद निकल न पाएं। इसलिए हमें लगता है कि हमें अल्कालिक लालच में नहीं पड़ना चाहिए। बाकी मर्जी आपकी।

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