चमक-दमक नहीं, हकीकत पर रहे नज़र

निफ्टी-50 सूचकांक दो दिन पहले पहली बार 25,000 अंक के पार चला गया। क्या इसका वास्ता जीडीपी के बढ़ते आंकड़ों से है? हो सकता है। लेकिन इसका बड़ा वास्ता बाज़ार में सट्टेबाज़ी की नीयत से आए धन के भारी प्रवाह से भी है। कारण, जीडीपी के बढ़ते आंकडों के पीछे छिपी हकीकत यह है कि आमजन की खपत पर टिकी कंपनियों का धंधा ठहरा पड़ा है। जीडीपी की चमक ऐसी कंपनियों के लिए फीकी है। सरकारी कृपा, ठेके, फाइनेंस और इधर का माल उधर करनेवाली तमाम कंपनियों के शेयर चमक रहे हैं, जबकि नेस्ले, एशियन पेंट्स और पिडिलाइट जैसी आम खपत पर आधारित कंपनियों के शेयर निवेशकों को खीचने के बावजूद दबे पड़े हैं। यह पीड़ा एशियन पेंट्स के सीईओ अमित सिंगल के मुंह से कुछ महीने पहले तब फूट पड़ी, जब उन्होंने कहा कि जीडीपी का रिश्ता ज़मीनी हकीकत से कहीं दूर छिटक गया है और वे पक्के तौर पर नहीं जानते कि जीडीपी के आंकड़े कैसे आ रहे हैं। इसके बाद सरकारी अमला उन पर टूट पड़ा तो एशियन पेंट्स की तरफ से सफाई आई कि सिंगल के कहने का गलत मतलब निकाला गया और उन्होंने कहीं से जीडीपी के आंकड़ों की सच्चाई पर सवाल उठाया है। खैर, हमें भी चमक नहीं, हकीकत को समझना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…

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