सरकार ने की तौबा, अण्णा जैसों को कोई भाव नहीं देंगे आगे: सिब्बल

लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में गांधीवादी अण्णा हज़ारे पक्ष को शामिल करने के बाद सरकार को बड़ा अफसोस हो रहा है। इस मामले में सरकार के सबसे मुखर मंत्री कपिल सिब्बल ने साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार भविष्य में इस तरह का कोई प्रयोग दोबारा नहीं करेगी।

लोकपाल विधेयक मसौदा समिति के सदस्य रहे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि विधेयक का मसौदा बनाने की कवायद में समाज (सिविल सोसायटी) के सदस्यों को शामिल किया जाना कोई मिसाल नहीं है। उन्होंने कहा कि मसौदे में राजनीतिक दलों और समाज के अन्य सदस्यों से सलाह-मशविरे के बाद बदलाव किए जाएंगे।

सिब्बल ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को दिए गए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं इसे कोई मिसाल नहीं कहूंगा। एक विशेष परिस्थिति में सरकार ने यह फैसला किया। हमने यह फैसला खुले नजरिये से किया और मैं इसे कोई मिसाल नहीं मानता। सरकार एक विशेष तरह की परिस्थिति में थी।’’ उनसे पूछा गया था कि अगर भविष्य में भी सामाजिक कार्यकर्ता कोई कानून बनाने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए आंदोलन करते हैं तो क्या होगा।

इस सवाल पर कि क्या यह एक बार का ही मामला था, वकील से नेता बने सिब्बल ने कहा, ‘‘मेरा कुछ ऐसा ही मानना है।’’ उन्होंने जो़र दिया कि केंद्र के पांच मंत्रियों ने जो मसौदा विधेयक तैयार किया है वह ‘अंतिम विधेयक’ नहीं है और ‘उसमें राजनीतिक दलों के साथ ही समाज के अन्य सदस्यों से सुझाव मिलने के बाद बदलाव किए जाएंगे।’ सरकार ने तीन जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलायी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *