पिछले हफ्ते तक शेयर बाजार में मूड पस्ती का था। इस हफ्ते उत्साह का है। हफ्ते के पहले चार दिनों में सेंसेक्स नीचे में 15,748.98 से ऊपर में 16,680.59 तक 900 अंकों से ज्यादा की पेंग भर चुका है। हालांकि, आज आखिरी दिन माहौल थोड़ा सुस्त है। ऐसे में क्या मान लिया जाए कि अब पस्ती का आलम खत्म हो गया है और तेजी का नया क्रम शुरू हो रहा है। इस बीच मूलभूत स्तर पर अर्थव्यवस्था में कोई खास तब्दीली नहीं आई है। इसलिए कहीं ऐसा तो नहीं कि ब्याज दरों की कमी की संभावना बताकर बाजार को जबरन फुलाया जा रहा है? मालूम हो कि रिजर्व बैंक सोमवार, 18 जून को मौद्रिक नीति पहली मध्य-तिमाही समीक्षा पेश करनेवाला है और कहा जा रहा है कि वह ब्याज दर (रेपो दर) को 8 फीसदी से घटाकर सीधे 7.50 फीसदी पर ला सकता है। कम से कम इसके 7.75 फीसदी पर लाने की संभावना तो पक्की है।
चीन ने कल, गुरुवार को ही ब्याज दरों में कमी की है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ऐसा कर चुका है। ऊपर से खबर आई है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोप के नेतागण यूरोज़ोन को टूटने से बचाने के लिए हरचंद उपाय करेंगे। इसके लिए सिस्टम में तरलता डाली जा सकती है, ‘मौद्रिक समायोजन’ किया जा सकता है। सीधे शब्दों में अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिए सिस्टम में अतिरिक्त नोट छापकर डाले जा सकते हैं। घरेलू स्तर पर भी हमारे प्रधानमंत्री मौनी महाराज कुछ सक्रिय हुए दिख रहे हैं।
लेकिन यह सारा कुछ इतना भरोसा नहीं दिलाता कि सब कुछ सामान्य हो चुका है। अर्थव्यवस्था की गति को लेकर उपजी निराशा इतनी जल्द टूटने के आसार नहीं है। चाहे वो चालू खाते का घाटा हो, या राजकोषीय़ घाटा, कहीं कोई रामबाण नहीं मिला है। टेक्निकल एनालिस्ट भी कह रहे हैं कि निफ्टी में 5100 पर तगड़े प्रतिरोध का स्तर है, जिसे तोड़ पाना बाजार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। अगर किसी दिन निफ्टी 5100 के ऊपर बंद होता है और अगले कुछ दिन तक उसके ऊपर टिका रहता है, तभी बाजार की बढ़त के थोड़ा स्थाई होने की उम्मीद पाली जा सकती है। निफ्टी फिलहाल कल के बंद स्तर 5049.65 से 0.69 फीसदी नीचे आ चुका है।
ऐसे में आम निवेशकों को पहले की तरह बाजार का तमाशा दूर खड़े रहकर ही देखना चाहिए। हां, जो लोग उछलती-मचलती धारा में मछलियां पकड़ने का हुनर और शौक रखते हैं, वे अगले दस दिनों तक दरिया में उठ रही मौजों (वोलैटिलिटी) का लुत्फ ले सकते हैं।