महंगाई खासकर खाद्य मुद्रास्फीति ने सरकार को परेशान करके रख दिया है। इतना परेशान कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी झल्लाकर बोले कि मुद्रास्फीति को वश में करने के उपाय किए गए हैं, लेकिन सरकार के पास कोई जादुई चिराग नहीं है कि वह इसे फौरन नीचे ले आए। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसकी जिम्मेदारी केंद्र से हटाकर राज्यों पर डालने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि महंगाई को काबू में रखने के लिए राज्यों में चुंगी, मंडी शुल्क और अन्य स्थानीय करों को खत्म किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को राज्यों के मुख्य सचिवों को संबोधित करते हुए कहा कि हालांकि पिछले कुछ वर्षों से अर्थव्यवस्था तीव्र वृद्धि की राह पर है पर मुद्रास्फीति इस विकास के लिए आर्थिक वृद्धि की रफ्तार के लिए खतरा बन गई है। इसलिए मंडी कर, चुंगी और स्थानीय करों को समाप्त करने की बड़ी जरूरत दिख रही है क्योंकि इन करों से आवश्यक वस्तुओं को लाने ले जाने में बाधाएं खड़ी होती हैं।
उधर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि (सरकार के पास) कोई जादू की छड़ी या अलादीन का चिराग है कि उसे रगड़ दो और समस्या सुलझ जाए।” उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति को कसने जैसे कई कदम उठाए हैं।
बता दें कि 22 जनवरी को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 17.05 फीसदी पर पहुंच गई है। कुल मुद्रास्फीति की दर दिसंबर माह में 8.43 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि महीने भर पहले नवंबर में यह 7.48 फीसदी थी। रिजर्व बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति के मद्देनजर मार्च 2011 के लिए इसका अनुमान 5.5 फीसदी से एकबारगी बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। असल में मुद्रास्फीति से आम आदमी ही नहीं सरकार के राजस्व और देश की आर्थिक विकास दर भी प्रभावित होती है।
मुद्रास्फीति एक तरह का परोक्ष टैक्स है। इसलिए वित्त मंत्री नए साल के बजट में कोशिश करेंगे कि टैक्स की दरों में इजाफा न हो और कर-छूट की सीमा बढ़ा दी जाए। साथ ही मुद्रास्फीति से इस साल जीडीपी की अनुमानित 8.8 से 9 फीसदी वृद्धि दर पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति से ब्याज दरें बढ़ती हैं और ब्याज दरें बढ़ने से उद्योग के लिए ऋण महंगा हो जाता है जिसका उसका विकास धीमा पड़ जाता है। प्रधानमंत्री ने भी ऊंची मुद्रास्फीति को आर्थिक वद्धि के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा है कि इससे गरीब व कमजोर तबका प्रभावित हो रहा है।