रामदेव के साथ कोई मतभेद नहीं: अण्णा हजारे

भ्रष्टाचार के खिलाफ जनभावनाओं का प्रतीक बन चुके प्रख्यात सामाजिक अण्णा हजारे ने कहा है कि उनका योगगुरु बाबा रामदेव के साथ कोई मतभेद नहीं है। कल रामदेव ने लोकपाल विधेयक के लिए बनी संयुक्त समिति में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण दोनों के रखे जाने पर आपत्ति उठाई थी। रामदेव के प्रतिनिधि एस के तिजारावाला ने उलाहना देते हुए कहा था – पिता मुखिया, बेटा सदस्य और केजरीवाल की सीट का रहस्य।

रविवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इस मसले पर पूछे जाने पर अण्णा हजारे ने कहा, ‘‘इस विषय में कोई विवाद नहीं है। उनकी बाबा रामदेव से बात हुई है। योगगुरू भी देशहित की बात करते हैं. इस समिति के माध्यम से देशहित को सर्वोपरि बनाया गया है। देशहित के आगे मामूली विषयों का कोई महत्व नहीं है।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण और प्रशांत भूषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समिति में विधि से जुड़े जानकार लोग होने चाहिए और इस विषय को सूक्ष्म दृष्टि से देखने की जरूरत नहीं है।

हजारे से पिछले 42 सालों में संसद में आठ बार लोकपाल विधेयक पेश होने के बावजूद पारित नहीं होने को लोकतंत्र पर गंभीर प्रश्नचिन्ह करार दिया। उन्होंने फिर यह चेतावनी दोहराई कि 15 अगस्त तक इस विधेयक के पास नहीं होने पर वह फिर से आंदोलन शुरू कर देंगे। लेकिन उनका प्रयास सामूहिक भागीदारी और सहमति से इसे लागू कराना है।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को झुकाने और शनिवार को पांच दिनों का अनशन समाप्त करने के बाद हजारे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरी संसद में पूरी आस्था है और हमने लोकशाही को स्वीकार भी किया है। लेकिन प्रजा की सत्ता को दरकिनार नहीं किया जा सकता। विधायकों और सांसदों को देश की तिजोरी की रक्षा का दायित्व दिया गया है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि प्रजा मालिक है लेकिन सेवक होते हुए जनप्रतिनिधि लोकपाल विधेयक लाने की उसकी मांग नहीं मान रहे हैं।

कुछ लोगों द्वारा अपने पर ‘ब्लैकमेल’ करने का आरोप लगाए जाने का उल्लेख करते हुए हजारे ने कहा, ‘‘अगर कुछ लोगों को लगता है कि मैं ब्लैकमेल कर रहा हूं तो देश और जनता के लिए मैं ऐसा करता रहूंगा।’’

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