उपरी तत्व, जीव हि ईश्वर है, इस समाज पर निर्भर है. जीव ईश्वर नाही है. ईश्वर तो सर्वमय , केवळ आनंदमय, उसे जीव बनानेकी कोई आवश्यकता नाही . वे श्रीमद्भगवद्गीता मानते है; लेकीन जाणते नाही. जानेंगे तो सामाझेंगे कि ईश्वर ना जीव है ना कि श्रुष्टी हुआ.
उपरी तत्व, जीव हि ईश्वर है, इस समाज पर निर्भर है. जीव ईश्वर नाही है. ईश्वर तो सर्वमय , केवळ आनंदमय, उसे जीव बनानेकी कोई आवश्यकता नाही . वे श्रीमद्भगवद्गीता मानते है; लेकीन जाणते नाही. जानेंगे तो सामाझेंगे कि ईश्वर ना जीव है ना कि श्रुष्टी हुआ.