तलहटी में पड़ा है नवीन फ्लूवोरीन

नवीन फ्लूवोरीन इंटरनेशनल (बीएसई – 532504, एनएसई – NAVINFLUOR) शुक्रवार को 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 253 रुपए तक गिरने के बाद 261.05 रुपए पर बंद हुआ है। पिछले एक महीने में यह 25 फीसदी से ज्यादा टूटा है। 12 नवंबर को ऊपर में 340 रुपए तक चला गया था और 10 दिसंबर तो 253 रुपए तक नीचे चला गया। अगर यह गिरावट आनी ही थी तो 19 अक्टूबर के आसपास आनी चाहिए थी क्योंकि उस दिन कंपनी ने सितंबर 2010 तिमाही के नतीजे घोषित किए थे जो वाकई अच्छे नहीं रहे थे। लेकिन तब इस पर खास फर्क नहीं पड़ा था। कह सकते हैं कि नतीजे खराब थे तो क्या हुआ? कंपनी ने चालू वित्त वर्ष 2010-11 के लिए 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 6.50 रुपए का अंतरिम लाभांश तो घोषित किया है!

12 नवंबर को इस लाभांश से जुड़ी रिकॉर्ड तिथि थी। उसी के बाद यह शेयर गिर रहा है। लेकिन वजह समझ में एकदम नहीं आती क्योंकि उसके तीन दिन बाद ही कंपनी ने घोषित किया है कि वह अपने 3,38,792 शेयर (कुल इक्विटी का 3.35 फीसदी हिस्सा) बायबैक कर रही है, वह भी 400 रुपए पर यानी 52 हफ्ते के उच्चतम मूल्य 397.30 रुपए (18 जनवरी 2010) से भी ज्यादा। फिर भी शेयर में कोई चाल नहीं आई? खैर, बाय-बैक ऑफर की सार्वजनिक घोषणा हो चुकी है। 10 दिसंबर तक कंपनी के रजिस्टर में दर्ज शेयरधारक इस ऑफर का लाभ उठा सकते हैं। ऑफर 7 जनवरी से 5 फरवरी 2011 तक खुला रहेगा।

कंपनी की मौजूदा इक्विटी 10.09 करोड़ रुपए है। इसका 37.22 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। बायबैक के बाद उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 38.51 फीसदी हो जाएगी क्योंकि इसमें वे अपना कोई भी शेयर वापस कंपनी को नहीं बेच रहे हैं। नोट करने की बात यह है कि कंपनी इस साल 65 फीसदी लाभांश पर 6.56 करोड़ रुपए और बायबैक पर 13.55 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। ऐसे में अगर सितंबर 2010 की तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 5.53 करोड़ रुपए रहा है तो उसके पीछे वजह यह है कि कंपनी नई छलांग लगाने की पुरजोर कोशिश में लगी है। बता दें कि सितंबर 2010 की तिमाही में कंपनी की बिक्री साल भर पहले की तुलना में 31.45 फीसदी और शुद्ध लाभ 82.15 फीसदी कम रहा है।

लेकिन कंपनी पुख्ता वित्तीय आधार पर खड़ी है। उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 44.59 रुपए है और उसका शेयर मात्र 5.85 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि उसकी बुक वैल्यू 308.67 रुपए है यानी शेयर के मौजूदा भाव से भी करीब 50 रुपए ज्यादा। ऊपर से खास बात यह है कि नवीन फ्लूवोरीन इंटरनेशनल अरविंद मफतलाल समूह से जुड़ी है। 1967 से सक्रिय है। सूरत (गुजरात) और देवास (मध्य प्रदेश) में उसके अत्याधुनिक संयंत्र हैं। कंपनी जो फ्यूरो-केमिकल बनाती है, उनका व्यापक इस्तेमाल दवा, कृषि व पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में होता है। वह मैफ्रॉन ब्रांड नाम से रेफ्रिजरेंट बनाती है जो देश में रेफ्रिजरेंट गैसों का जेनरिक नाम बन गया है। कंपनी रिसर्च पर काफी ध्यान देती है। कुल मिलाकर इस कंपनी और उसके स्टॉक का भविष्य अच्छा है।

बाकी चर्चा-ए-खास यह है कि समीर अरोड़ा आईएफसीआई और अनिल अंबानी समूह की कंपनियों में किए गए अपने शॉर्ट सौदे काटने में लगे हैं। इंडिया इंफोलाइन अपने ग्राहकों के लिए एसबीआई के शेयर खरीद रही है। सेंचुरी शुक्रवार को 412.30 रुपए पर बंद हुआ है, आज 440 रुपए तक जा सकता है। सीएलएसए ने जेट एयरवेज में खरीद शुरू कर दी है, जबकि जीएस (राधाकृष्ण दामाणी या ओल्ड फॉक्स) ने स्पाइसजेट और किंग फिशर एयरलाइंस में फिर से हाथ लगाया है। रिलायंस समूह ने अपने निवेश विभाग से कह दिया है कि वे बाजार में जमकर खरीद करें क्योंकि बहुत से अच्छे शेयरों का मूल्य अभी काफी गिरा हुआ है।

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