बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) का कोई जवाब नहीं। बीमा उद्योग के इस रेगुलेटर ने यूलिप पर जो नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनसे यूलिपधारकों को काफी फायदा होने की उम्मीद है। यह एक प्रकार से सबसे ज्यादा बिकनेवाले बीमा उत्पाद यूलिप की ओवरहॉलिंग हैं। इससे एजेंटो द्वारा की जा रही मिस-सेलिंग पर रोक लगेगी और पॉलिसीधारक को ज्यादा बीमा कवर भी मिलेगा।
ज्यादा इंश्योरेंस: नए यूलिप ज्यादा इंश्योरेंस देनेवाले हैं। अब सभी यूलिप में मेडिकल कवर/डेथ बेनिफिट दिया जाएगा। साथ ही सभी लाइफ यूलिप पर कवर को दोगुना कर दिया गया है। मेडिकल कवर सालाना प्रीमियम का 5 गुना या 1 लाख रुपए जो ज्यादा हो, रहेगा। यह सिंगल प्रीमियम पॉलिसी में प्रीमियम का 110 फीसदी होगा। 45 साल से कम उम्र वाले यूलिपधारकों के लिए सालाना प्रीमियम की 10 गुना रकम का इंतजाम बतौर डेथ बेनिफिट रहेगा।
टॉप-अप में इंश्योरेंस: अगर आप यूलिप में टॉप-अप प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो उसे सिंगल प्रीमियम मानकर उस पर इंश्योरेंस कवर देना होगा। अब तक ऐसा नहीं था। जानकारों का कहना है कि यह अच्छा कदम है।
सितंबर से लागू: बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण के नए नियम 1 सितंबर 2010 से लागू होंगे। इसका मतलब यह है कि अभी बेचे जा रहे सभी यूलिप उत्पादों में बीमा कंपनियां बदलाव लाएंगी और आईआरडीए से इसके लिए फिर से मंजूरी हासिल करेंगी।
चार्जेज की सीमा तय: यूलिप में सबसे बड़ी खरीबी इसके ऊंचे प्रभार ही हैं। इन प्रभारों की मद में पॉलिसीधारकों के प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा चला जाता है। लोग किसी मकसद को ध्यान में रखकर बचत करते हैं पर हाई प्रभार उनकी बचत की रकम कम कर देते हैं। पर आईआरडीए ने अब पॉलिसी की अवधि के दौरान प्रभारों की सीमा तय कर दी है। बीमा कंपनियां अब शुरूआती दो-तीन साल के बजाय ५ साल में प्रीमियम से प्रभार वसूलेंगी। जिससे कंपनियों द्वारा एजेंटों को दिए जाने वाले भारी-भरकम कमीशन पर प्रतिबंध होगा। इसके अलावा रेगुलेटर ने रेफरल को दिए जाने वाले कमीशन पर भी सीमा लगाई और सख्त नियम बनाए लिहाजा रेफरल की भूमिका में बेहद कम खिलाड़ी मौजूद होंगे।
पेंशन प्लान बेहतर: यूलिप अब निवेशक फ्रेंडली भी बन गए हैं। आईआरडीए ने यूलिप युक्त पेंशन प्लान पर ४.५ फीसदी मिनिमम गारंटीड रिटर्न का इंतजाम किया है। ऐसे में निवेशकों को सलाह है कि अगर आप बहुत ही कम जोखिम लेना चाहते हैं तो आप पेंशन प्लान में निवेश कर सकते हैं। ४.५ फीसदी वाला न्यूनतम गारंटीयुक्त रिटर्न वाला प्लान आपके लिए बेहतर रहेगा। पेंशन प्लान की खासियत यह है कि इसमें गारंटीयुक्त रिटर्न मिल जाता है।
पांच साल का लॉक-इन पीरियड: नए नियमों के तहत यूलिप का लॉक-इन पीरियड को तीन साल से बढ़ा कर पांच साल का कर दिया गया है। यानी आप पांच साल के बाद ही इससे पैसे निकाल सकते हैं। इसका सबसे अच्छा असर यह पड़ेगा कि यूलिप बेचने वाली कंपनियां इन उत्पादों को शॉर्ट टर्म प्रोडक्ट के तौर पर पेश नहीं कर पाएंगी।
आमदनी पर आफत: यूलिप पर बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण के नए नियमों से बीमा कंपनियों की आमदनी पर आफत आने की संभावना है। क्योंकि अनिश्चितता की वजह से वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कोई यूलिप लांच नहीं किया गया और नए नियमों को पूरा करने के लिए अगत से सभी योजनाओं की समीक्षा की जाएगी। पर इस कवायद से जीवन बीमा उद्योग के नए बिजनेस प्रीमियम संग्रह में कमी की संभावना दिख रही है।
वैल्यूएशन पर असर: नए नियमों से जीवन बीमा कंपनियों के मार्जिन्स व लाभप्रदता में कमी आने से उनका मूल्यांकन प्रभावित होगा और कंपनियों के मूल्यांकन में गिरावट आने से उनकी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग-आईपीओ बदरंग हो सकती है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि बीमा कंपनियों के आर्कषक यूलिप बिजनेस मॉडल के नुकसान से पहले से डिले हुए आईपीओ में और भी देरी हो सकती है। अब जब तक कंपनियां नए परिप्रेक्ष्य में अपने मूल्यांकन की गति व स्थिरता जब तक नहीं पकड़ लेती तब तक आईपीओ के लिए आगे नहीं बढ़ सकती।
राजेश विक्रांत (लेखक एक बीमा प्रोफेशनल हैं)