कर्नाटक सरकार ने बैगलोर मैसूर एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए एक कंपनी द्वारा अधिग्रहीत तीन गांवों की 1916 एकड़ जमीन के लिए मुआवजे की रकम कई गुना बढ़ाने का निर्णय लिया है। जहां पहले प्रति एकड़ 1.5 लाख रुपए मुआवजा मिलना था, वहीं अब इसकी दर 40-41 लाख प्रति एकड़ कर दी गई है। गुरुवार को राज्य सरकार ने यह फैसला किया।
नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरीडोर एंटरप्राइसेज ने बैगलोर दक्षिणी तालुक में केंगेरी के बाहरी इलाके में तीन गावों – गोनीपुरा, थिप्पोरू व शिघेंहल्ली में 1998 में यह जमीन अधिग्रहीत की थी। तब किसानों को डेढ़ लाख रूपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा तय किया गया था।
लेकिन भूमि मुआवजा निर्धारण पर बैंगलोर शहरी उपायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विशेष दर को अनुमोदित कर दिया। अब गोनीपुरा और थिप्पोरू के किसानों को 41 लाख रूपए प्रति एकड़ और शिगेहल्ली के किसानों को 40 लाख रूपए प्रति एकड़ की दर से भुगतान किया जाएगा।
कानून मंत्री एस सुरेश कुमार ने बैंगलोर में मीडिया को बताया कि इसके अलावा, जिन किसानों ने एक एकड़ से कम जमीन बेची है उन्हें 30 फुट चौड़ा व 40 फुट लंबा भूखंड और एक एकड़ से अधिक जमीन बेचने वालों को 40 फुट चौड़ा व 60 फुट लंबा भूखंड दिया जाएगा। राजनीतिक तौर पर राज्य सरकार का यह कदम विपक्षी दल जेडी-एस के विरोध को ठंडा करने के लिए उठाया गया है।