संसद के दोनों सदनों राज्यसभा व लोकसभा का सत्र गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण सदन के कामकाज के 53 घंटों का नुकसान हुआ।
सभापति ने इस पर खेद जताते हुए कहा कि यह सदस्यों के अधिकार व दायित्वों के बारे में एक दुखद टिप्पणी है। सदस्यों को सदन की कार्यवाही में सार्थक भागीदारी करनी चाहिए। आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है। अंसारी ने यह भी कहा कि सहयोगी सदस्यों के अधिकारों का हनन किए बिना और सदन के कामकाज के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन किए बिना अपनी चिंताएं प्रकट करने के तरीके निकालने के लिए हमें सामूहिक तौर पर प्रयास करना चाहिए।
राज्यसभा के इतिहास में पहली बार कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश सौमित्र सेन को उनके पद से हटाने के लिए, उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही चलाई गई। महाभियोग का प्रस्ताव सीपीएम नेता सीताराम येचुरी सहित 58 सदस्यों ने दिया था। प्रस्ताव पर दो दिनों तक सात घंटे बहस चली और न्यायमूर्ति सेन को अपना पक्ष रखने के लिए करीब दो घंटे का समय दिया गया। प्रस्ताव पर हुए मत विभाजन में सदन ने भारी बहुमत से पारित कर दिया।
लोकसभा के मानसून सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “इस सत्र के दौरान सदन 18 घंटा 25 मिनट ज्यादा देर तक बैठा। लेकिन खेदजनक ठंग से व्यवधान और स्थगन के कारण हमनें 51 घंटे खो दिए।” उन्होंने कहा, “मुझे पूरा भरोसा हे कि लोकतंत्र की संसदीय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सदस्य इस प्रवृति पर रोक लगाने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।”
एक अगस्त से शुरू हुए लोकसभा के इस मानसून सत्र के दौरान कुल 26 बैठकें हुई जिनमें 11 विधेयक पेश किए गए और 14 विधेयकों को मंजूरी दी गई। इन विधेयकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया संशोधन विधेयक, मानव अंग प्रत्यारोपण संशोधन विधेयक, भारतीय चिकित्सा संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद विधेयक और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान विधेयक प्रमुख हैं।
सत्र के दौरान विपक्ष ने भ्रष्टाचार, उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण, राष्ट्रमंडल खेलों के संबंध में नियंत्रक व महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट, दिल्ली में बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुणे में किसानों पर पुलिस अत्याचार, लोकपाल विधेयक पर गांधीवादी अण्णा हज़ारे के अनशन, गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति सहित विभिन्न मुद्दों पर भारी हंगामा किया। इसके कारण सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित हुई।