केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के मुताबिक, अब समय आ गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) पर अमल के दूसरे चरण की शुरुआत की जाए। गुरुवार को राजधानी दिल्ली में छठे मनरेगा सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों और विभिन्न समूहों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद अनेक नए विचार सामने आए और उनमें से कुछ को अगले महीने तक मनरेगा के दूसरे चरण में शामिल कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि रोजगार योजना को लागू करने में आने वाली दिक्कतों से कारगर तरीके से निपटा जाएगा। मनरेगा के नियमों और दिशानिर्देशों को दोबारा तैयार करने का काम मिहिर शाह कमिटी को सौंपा गया है जो अपनी रिपोर्ट अगले महीने दे देगी। श्री रमेश ने कहा कि काम को एक कानूनी गारंटी बनाकर मनरेगा ने ग्रामीण क्षेत्रों के वंचित और पिछड़े वर्ग को समर्थ बनाया है, लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि इसे लागू करने में अभी भी अनेक खामियां हैं।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, “आर्थिक परेशानियों के बावजूद हम इस योजना के लिए हर साल लगभग 40,000 करोड़ रुपए की रकम आवंटित कर रहे हैं। यह किसी भी दूसरी विकास स्कीम के आवंटन से ज्यादा है। साल 2010-11 में मनरेगा के तहत साढ़े पांच करोड़ परिवारों के लिए रोज़गार पैदा किया गया। 25,600 करोड़ रूपए की मजदूरी लोगों को दी गई।”
उन्होंने कहा कि भारत सरकार की कोशिश है कि छोटे किसानों और गरीब परिवारों को इस स्कीम ख़ास फायदा मिल पाए। इसीलिए हाल ही में फैसला किया गया है कि अनुसूचित जातियों, जनजातियों या बीपीएल लोगों की जमीन पर मनरेगा के तहत सिंचाई, बागवानी और भूमि विकास से जुड़े काम भी किए जा सकते हैं।