शनिवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के नए चेयरमैन प्रकाश चंद्रा ने दिल्ली में बयान दिया कि मॉरीशस भारत के साथ दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) में संशोधन पर विचार कर रहा है और दोनों पक्षों में जल्दी ही इसे ठोस रूप देने पर बैठक हो सकती है। रविवार को उनका यह बयान टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई अखबारों में छपा। हालांकि इसमें यह भी जोड़ दिया गया कि भारत अपने यहां लाभ कमानेवाली कंपनियों पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगाने के लिए प्रयास कर रहा है।
सोमवार को बयान के इन्हीं दो हिस्सों को जोड़कर सीएनबीसी टीवी-18 ने सुबह-सुबह इस अंदाज में पेश किया, जैसे भारत सरकार मॉरीशस से आनेवाले सारे निवेश को कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में लाने जा रही है। बाजार में हर किसी को पता है कि भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा मॉरीशस से आता है और शेयर बाजार में कार्यरत तमाम एफआईआई व वेंचर कैपिटल फंड मॉरीशस के पते वाले हैं। कारण, डीटीएए के अनुसार मॉरीशस के पते वाली फर्मों को भारत में शेयरों की बिक्री से हुए लाभ पर मॉरीशस ही कैपिटल गेन्स टैक्स लगा सकता है और मॉरीशस में कोई कैपिटल गेन्स टैक्स है नहीं। इस तरह मॉरीशस के पते वाले विदेशी निवेशकों पर व्यवहार में कोई टैक्स नहीं लगता।
जाहिर है कि भारत में मॉरीशस से आए निवेश पर कैपिटल गेन्स लगने की बात बहुत गंभीर और चौंकानेवाली है। सीएनबीसी पर यह खबर चलवाने के बाद चंद खिलाड़ियों ने अपने तंत्र के जरिए बाजार में अफवाह फैला दी कि कुछ बड़े विदेशी फंड भारतीय शेयर बाजार से निवेश निकाल रहे हैं। जंगल में आग की तरह यह अफवाह फैल गई। असर कितना हुआ, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार को एनएसई में औसत के डेढ़ गुने से ज्यादा रिकॉर्ड कारोबार हुआ। वहां डेरिवेटिव सेगमेंट में 1.70 लाख करोड़ और कैश सेगमेंट 12,099 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। हालांकि बीएसई के कैश सेगमेंट में कारोबार 2829.92 करोड़ रुपए का रहा जो औसत से खास ज्यादा नहीं है। बीएसई में हरचंद कोशिश के बावजूद अभी तक डेरिवेटिव सौदों में कारोबार उठ नहीं पाया है। सोमवार को भी वहां डेरिवेटिव्स में कारोबार मात्र 2.84 करोड़ रुपए का रहा।
लेकिन जब जून में पूरे बाजार में वोल्यूम घट गया हो, खासकर एनएसई में डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबार अक्सर 70,000 करोड़ रुपए से नीचे जाता रहा हो, तब गुरुवार से वोल्यूम बढ़ने का सिलसिला सोमवार तक आकर 1.70 लाख करोड़ के साथ जिस तरह फूटा है, वह निश्चित रूप से किसी खेल का संदेह पैदा करता है। कौन लोग हैं जिन्होंने सीएनबीसी का सहारा लेने के बाद बाजार को तोड़ने का काम किया है? बता दें कि सीएनबीसी टीवी-18 पहले भी इस तरह आधारहीन खबरें चलाकर शेयरों को उठाने-बैठाने का काम करता रहा है। लेकिन पहुंच और रसूख के कारण उस पर कोई हाथ धरनेवाला नहीं है। सेबी का पूरा तंत्र भी सरेआम हो रहे इस खेल को मूकदर्शक बना देख रहा है।
दोपहर दो बजे के बाद सरकार की तरफ से इस ‘खबर’ का स्पष्ट खंडन आ गया। खुद वित्त सचिव सुनील मित्रा ने बताया कि मॉरीशस के साथ कर-संधि को बदलने पर विचार तो हो रहा है। लेकिन यह बात कई महीने पुरानी है। दूसरे, भारत किसी भी देश की तरह चाहता है कि उसके यहां लाभ कमानेवाली कंपनियों पर टैक्स लगाया जाए। लेकिन फिलहाल मॉरीशस से आए निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके बावजूद कलाकारों का खेल चलता रहा और शेयर बाजार करीब दो फीसदी गिरावट के साथ बंद हुआ।
जिन कंपनियों को मॉरीशस संधि के नाम पर जमकर तोड़ा गया, उनमें एस कुमार्स, फर्स्टसोर्स सोल्यूशंस, केएस ऑयल, जीटील इंफ्रा और जीटीएल लिमिटेड शामिल हैं। जीटीएल और जीटीएल इंफ्रा को तोड़ने के लिए यह अफवाह भी फैलाई गई कि प्रवर्तक प्रवर्तक गिरवी रखे गए अपने शेयर बेच रहे हैं। बाद में जीटीएल के सीएमडी मनोज तिरोडकर ने इसका खंडन किया। कहा जा रहा है कि तिरोडकर अपनी कंपनियों के शेयरों को इस तरह धूल चटाने की शिकायत सेबी से करने जा रहे हैं।