अगर स्वास्थ्य बीमा सभी के लिए अनिवार्य कर दी जाए और शिक्षा शुल्क की तरह सभी से इसका प्रीमियम लिया जाए तो कैसा रहेगा! यह सुझाव दिया गया है कि उद्योग संगठन फिक्की और बीमा कंपनी आईएनजी इंश्योरेंस द्वारा गठित फाउंडेशन फोर्टे (फाउंडेशन ऑफ रिसर्च, ट्रेनिंग एंड एजुकेशन इन इंश्योरेंस इन इंडिया) के एक ताजा अध्ययन में।
बता दें कि जर्मनी समेत तमाम यूरोपीय देशों में अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान है। इसका प्रीमियम नौकरीपेशा लोगों के वेतन से हर महीने कट जाता है, जबकि बेरोजगारों के भत्ते से एक निश्चित रकम इस मद में चली जाती है। इस तरह वहां की पूरी आबादी स्वास्थ्य बीमा के तहत आती है। दूसरी तरफ फोर्टे के अध्ययन के मुताबिक भारत में आबादी का मात्र 4.22 फीसदी हिस्से के पास स्वास्थ्य बीमा का कवर है। इसमें भी अधिकांश ऐसे लोग हैं जिन्हें कहीं न कहीं नौकरी करने के कारण संस्थान की सामूहिक बीमा पॉलिसियों का लाभ मिल रहा है।
इस अध्ययन में बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) से सिफारिश की गई है कि वह सामूहिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर व्यक्तिगत पॉलिसियों जैसी पोर्टेबिलिटी की सुविधा लागू कर दे। गौरतलब है कि इरडा के फैसले के तहत व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पालिसियों पर एक जुलाई 2011 से पोर्टेबिलिटी यानी बीमा पॉलिसी जारी रखते हुए बीमा कंपनी बदलने की सुविधा लागू हो जाएगी।
फोर्टे का कहना है कि सामूहिक बीमा पालिसियों में भी इस तरह की सुविधा उपलबध करा दी जाए। उसके अध्ययन में कहा गया है कि नौकरी बदलने की स्थिति में भी समूह बीमा पालिसी को जारी रहने दिया जाना चाहिए। उसका कहना है, ‘‘समूह बीमा पालिसी उत्पादों में भी पोर्टेबिलिटी सुविधा लागू होनी चाहिए। ऐसे में उन लोगों की जरूरत पूरी हो सकेगी जो नौकरी बदल लेते हैं अथवा सेवानिवृत्त हो रहे हैं।’’
अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि स्वास्थ्य बीमा सुविधा का दायरा बढ़ाने के लिए रिटेल कियोस्क, टेलीमार्केटिंग आदि के जरिये भी इन उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। फोर्टे ने कहा कि इरडा एक सकारात्मक माहौल बना सकता है। इसके लिए अतिरिक्त बिक्री चैनलों को वैधता दी जानी चाहिए। वैसे, इस समय स्वास्थ्य बीमा का व्यवसाय बहुत दबाव में चल रहा है क्योंकि उससे औसतन 100 रुपए के प्रीमियम पर 120 रुपए खर्च करना पड़ रहा है। इसलिए उद्योग इस हालत से निकलने की राह खोजने में लगा हुआ है।
फोर्टे की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि स्वास्थ्य बीमा को सभी के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए और प्रीमियम की वसूली शिक्षा शुल्क के साथ भी ली जा सकती है। इसके लिए स्कूल और कॉलेज के आसपास स्थित अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों को स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र बनाया जा सकता है।