कोई भी ज्ञान या विद्या तभी तक सार्थक है, जब तक वह व्यवहार की सेवा कर सके। हमने अब तक की 26 कड़ियों में डेरिवेटिव ट्रेडिंग, खासकर ऑप्शन ट्रेडिंग को जानने-समझने की जो कोशिश की, अब उसे व्यवहार के धरातल पर कसने का वक्त आ गया है। अगर वह किसी हद तक रिटेल ट्रेडर के लिए कम से कम रिस्क में ठीकठाक मुनाफा कमाने का माध्यम बन सके, तभी उसे अपनाया जाना चाहिए। अन्यथा, उसे शेयर बाज़ार पर कुंडली मारकर बैठे धनवानों, उस्तादों व प्रोफेशनल ट्रेडरों के लिए छोड़ देना चाहिए।
वैसे, यह कर पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि डेरिवेटिव सेगमेंट में होनेवाले कुल सौदों में इस समय रिटेल व एनएनआई ट्रेडरों का हिस्सा सबसे ज्यादा है। जैसे, 20 मई को एनएसई के डेरिवेटिव सेगमेंट में कुल 2.57 करोड़ सौदे हुए। इनमें से 1.11 करोड़ (43.24%) सौदे क्लाएंट्स यानी रिटेल व एनएनआई ट्रेडरों के नाम दर्ज हैं। देशी संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के कुल सौदे तो 50,000 से भी कम रहे, जबकि विदेशी निवेशक सस्थाओं (एफआईआई) ने 51.37 लाख (19.98%) और प्रोफेशनल ट्रेडरों ने 94.30 लाख (36.68%) सौदे किए। ऐसे में लालच में फंसे रिटेल ट्रेडरों को समझदारी सिखाना बहुत मुश्किल है।
खैर, आज हम कल बंद हुए भावों के आधार पर निफ्टी ऑप्शंस में कुछ सौदे करेंगे। ये सौदे ऑप्शन ट्रेडिंग की तीन रणनीतियों – बटरफ्लाई स्प्रेड, स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल के हिसाब से होंगे। हम उनका पालन करते हुए बाज़ार के भावों के आधार पर सौदे करेंगे। इसके बाद चालू मई माह के डेरिवेटिव सौदों की एक्सपायरी के दिन, 28 मई को इनकी वास्तविक स्थिति देखेंगे और अगले दिन 29 मई, शुक्रवार की सुबह इन रणनीतियों और अपने सौदों की समीक्षा करके परखेंगे कि ये रणनीतियां कितनी लाभप्रद या नुकसानदेह रही हैं। ध्यान दें कि हमारे सौदे प्रतीकात्मक है और वे एक-एक लॉट की न्यूनतम सीमा तक बंधे रहेंगे। हम इम्प्लायड वोलैटिलिटी की गणना के लिए ब्लैक-शोल्स फॉर्मूले का प्रयोग भी करेंगे।
बटरफ्लाई स्प्रेड: बटरफ्लाई स्प्रेड कम वोलैटिलिटी की स्थिति में काम आनेवाली रणनीति है। इस रणनीति के तहत हम एक आउट ऑफ द ऑप्शन या ओटीएम कॉल ऑप्शन (स्ट्राइक मूल्य बाज़ार के स्पॉट मूल्य से ज्यादा) और एक इन द मनी या आईटीएम (स्ट्राइक मूल्य बाज़ार के स्पॉट मूल्य से कम) कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, जबकि दो ऐट द मनी (एटीएम) कॉल ऑप्शन (स्ट्राइक मूल्य बाज़ार मूल्य के बराबर) बेचते हैं। इस तरह हम कुल चार कॉल ऑप्शंस का सौदा करते हैं। शर्त यह है कि ओटीएम और एटीएम स्ट्राइक मूल्य का अंतर, आईटीएम और एटीएम स्ट्राइक मूल्य के अंतर के बराबर होना चाहिए।
कल 21 मई को निफ्टी 9106.25 पर बंद हुआ है तो इसका सबसे नजदीकी स्ट्राइक मूल्य 9100 का हुआ। हम बटरफ्लाई रणनीति पर अमल करके हुए निफ्टी में 50 रुपए ऊपर के स्ट्राइक मूल्य 9150 रुपए का एक और 50 रुपए नीचे के स्ट्राइक मूल्य 9050 का एक कॉल ऑप्शन खरीद लेते हैं। कल 9150 के स्ट्राइक मूल्य वाले कॉल ऑप्शन का भाव 92.35 रुपए और 8950 के स्ट्राइक मूल्य वाले कॉल ऑप्शन का भाव 140 रुपए रहा है तो इन दोनों के एक-एक (75-75 शेयर) लॉट के लिए हमें कुल 17,426.25 रुपए का प्रीमियम देना पड़ा।
इर रणनीति में इसके साथ ही हमें दो एटीएम कॉल ऑप्शन बेचने होते हैं। कल बाज़ार मूल्य के लगभग बराबर 9100 स्ट्राइक मूल्य के कॉल ऑप्शन का भाव 114 रुपए रहा है तो इसके दो लॉट का कुल प्रीमियम 17,100 रुपए निकलता है। हमने चूंकि ये कॉल ऑप्शन बेचे हैं। इसलिए इनका प्रीमियम हमें मिल जाता है। इस तरह बटरफ्लाई रणनीति के अंतर्गत किए गए चार कॉल ऑप्शन के सौदों पर हमारी शुद्ध लागत मात्र 326.25 रुपए आई है। देखते हैं कि 28 मई को एक्सपायरी के दिन कहीं दो एटीएम ऑप्शन बेचना हमारे लिए बहुत बड़े घाटे का सबब न बन जाए।
स्ट्रैडल: स्ट्रैडल की रणनीति ज्यादा वोलैटिलिटी की स्थिति में कारगर होती है। इस रणनीति के अंतर्गत हम एक ऐट द मनी (एटीएम) कॉल ऑप्शन खरीदते हैं। साथ ही एक एटीएम पुट ऑप्शन भी खरीद लेते हैं। एटीएम ऑप्शन वह होता है जिसमें उसका स्ट्राइक मूल्य बाज़ार में चल रहे स्टॉक या इंडेक्स के मूल्य के बराबर होता है।
हमें 28 मई की एक्सपायरी वाला एक एटीएम कॉल और एक एटीएम पुट ऑप्शन खरीदना है। 9100 स्ट्राइक मूल्य का ऑप्शन एटीएम माना जाएगा। कल इस कॉल ऑप्शन का भाव 114 रुपए रहा है। हमने इसका एक लॉट यानी 75 शेयर खरीदे तो हमें कुल 8550 रुपए का प्रीमियम अदा करना पड़ा। एनएसई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस कॉल ऑप्शन की दैनिक वोलैटिलिटी 2.75%, सालाना वोलैटिलिटी 52.53% और इम्प्लायड वोलैटिलिटी 20.90% है। ब्लैक-शोल्स फॉर्मूले में हम अगर रिस्क-फ्री ब्याज की दर 6.5% लें तो 20.90% की इम्प्लायड वोलैटिलिटी पर इस कॉल ऑप्शन का भाव 114.07 रुपए निकलता है।
इस रणनीति के तहत हमें निफ्टी में 9100 स्ट्राइक मूल्य का ही एक पुट ऑप्शन भी खरीदना है। कल इस पुट ऑप्शन का भाव 149 रुपए रहा है तो एक लॉट के लिए हमें 11,175 (=75×1149) रुपए देने पड़े। एनएसई ने इस पुट ऑप्शन की दैनिक व सालाना वोलैटिलिटी क्रमशः 2.75% व 52.53% ही दी है, जबकि इम्प्लायड वोलैटिलिटी 31.17% बताई है। अगर रिस्क-फ्री ब्याज की दर 6.5% और इम्प्लायड वोलैटिलिटी 31.17% लें तो ब्लैक-शोल्स फॉर्मूले से इस पुट ऑप्शन का भाव 148.02 रुपए निकलता है।
इस रणनीति के तहत खरीदे गए इन दो ऑप्शंस पर हमारी कुल लागत 19,725 रुपए पड़ी है। ब्रोकरेज वगैरह इससे अलग है। यह रणनीति क्या फल देती है, इसका पता 28 मई को एक्सपायरी के दिन चलेगा।
स्ट्रैंगल: स्ट्रैंगल रणनीति के अंतर्गत हम एक ओटीएम कॉल ऑप्शन (स्ट्राइक मूल्य बाज़ार मूल्य से ज्यादा) और एक ओटीएम पुट ऑप्शन (स्ट्राइक मूल्य बाज़ार मूल्य से कम) खरीदते हैं। हम 28 मई की एक्सपायरी वाला 9250 स्ट्राइक मूल्य का कॉल ऑप्शन और 8950 रुपए स्ट्राइक मूल्य का पुट ऑप्शन खरीद रहे हैं। कल इनका भाव क्रमशः 54 रुपए और 90 रुपए रहा है तो हमें कॉल ऑप्शन के एक लॉट का प्रीमियम 4050 रुपए और पुट ऑप्शन के एक लॉट का प्रीमियम 6750 रुपए देना पड़ा। इस तरह कुल लागत 10,800 रुपए आई। 28 मई को पता चलेगा कि यह पूरी रकम डूब गई या इससे थोड़ा फायदा हुआ।
स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल, दोनों ही रणनीति में निफ्टी अगर स्थिर रहता तो घाटा होता है, जबकि निफ्टी के ज्यादा ऊपर-नीचे होने पर फायदा हो सकता है। कल एनएसई में 9250 स्ट्राइक मूल्य के इस कॉल ऑप्शन में दैनिक व सालाना वोलैटिलिटी ऊपर बताई गई जितनी ही है, जबकि इम्प्लायड वोलैटिलिटी 21.30% बताई है। ब्लैक-शोल्स फॉर्मूले में हम अगर रिस्क-फ्री ब्याज की दर 6.5% लें तो 21.30% की इम्प्लायड वोलैटिलिटी पर इस कॉल ऑप्शन का भाव 54.46 रुपए निकलता है।
वहीं, 8950 स्ट्राइक मूल्य के निफ्टी पुट ऑप्शन की दैनिक व सालाना वोलैटिलिटी तो समान है, जबकि इम्प्लायड वोलैटिलिटी 31.48% बताई है। ब्लैक-शोल्स फॉर्मूले में रिस्क-फ्री ब्याज की दर 6.5% और इम्प्लायड वोलैटिलिटी 32.15% लेने पर इस पुट ऑप्शन का भाव 90.26 रुपए निकलता है। यानी, वास्तविक इम्प्लायड वोलैटिलिटी थोड़ी ज्यादा है।
उक्त तीनों रणनीतियों को आजमाने पर हमारी कुल लागत 30,851.25 रुपए आई है। देखते हैं कि 28 मई को अलग-अलग रणनीति क्या गुल खिलाती है और उनका सम्मिलित नफा-नुकसान क्या होता है। यह हम बताएंगे इसी कॉलम में 29 मई, शुक्रवार को। तब तक यह कॉलम बंद रहेगा।