कुलांचे गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स की

पिछले साल पावर ऑफ आइडियाज़ के विजेता के रूप में आईआईएम अहमदाबाद में हम जैसे चुनिंदा उद्यमियों को प्रोफेसर अरिंदम बनर्जी ने पढ़ाया था कि वैल्यू या मूल्य वो है जो कोई उपभोक्ता आपकी सेवा या उत्पाद के लिए देने को तैयार है। यह वो कीमत है जो वह अपना फायदा देखकर लागत के ऊपर आपको देता है। दूसरी बात यह कि अगर आपको अपने उद्यम का अंतर्निहित मूल्य पता करना हो तो ये देखिए कि कल आपका उद्यम ना रहे तो क्या लोगों व बाजार पर कोई फर्क पड़ेगा? फिलहाल आज का कॉलम लिखते हुए मैं इन्हीं दो सवालों से रूबरू हूं और सोच रहा हूं कि क्यों न अपना यह उद्यम बंद कर दिया जाए। खैर, इस पर फैसला 15-20 दिन बाद लूंगा। अभी तो आपकी सेवा में एक और निवेश-योग्य कंपनी पेश कर रहा हूं।

यह है गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स, जिसकी एक सब्सिडियरी है आइनॉक्स लीज़र जिसकी चर्चा हमने यहां 16 अगस्त को करते हुए कहा था कि यह दो माह में 20 फीसदी तक का रिटर्न देकर जाएगा। 22 सितंबर तक 38.60 फीसदी बढ़कर 59.60 रुपए तक जाने के बाद फिलहाल 52-53 रुपए पर है जो हमारे सटीक लक्ष्य को भेदता है। खैर, गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स ने बीते शुक्रवार, 21 अक्टूबर को ही सितंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। इस दौरान उसकी बिक्री साल भर पहले की तुलना में 204.89 फीसदी बढ़कर 175.80 करोड़ रुपए से 536 करोड़ रुपए हो गई है। वहीं शुद्ध लाभ 280.15 फीसदी बढ़कर 49.57 करोड़ रुपए से 188.44 करोड़ रुपए हो गया है।

उसका एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर शुक्रवार को बीएसई (कोड – 500173) में 541.40 रुपए और एनएसई (कोड – GUJFLUORO) में 541.45 रुपए पर बंद हुआ है। ए ग्रुप का शेयर है, बीएसई-500 जैसे सूचकांकों में शामिल है तो इसमें डेरिवेटिव सौदे भी होते हैं। इसके नवंबर फ्यूचर्स का भाव अभी 547.60 रुपए चल रहा है। यानी, रुझान बढ़त का है। पिछले ही महीने 22 सितंबर को इसने 560.45 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर हासिल किया था। लेकिन तब यह स्टैंड-एलोन नतीजों के आधार पर 16.15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। अब चूंकि सितंबर तिमाही के शानदार नतीजों के बाद इसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 47.35 रुपए हो गया है, इसलिए इसका पी/ई अनुपात 11.43 पर आ गया है।

यूं तो यह शेयर पिछले साल 26 नवंबर 2010 को 160 रुपए का न्यूनतम स्तर पकड़ चुका है। लेकिन तब इसे किसी ने खास तव्जजो नहीं दी। अब यह बाजार की निगाहों में चढ़ चुका है और ज्यादा महंगा भी नहीं है, इसलिए इसमें लंबे समय का निवेश किया जा सकता है। असल में इस साल कंपनी कुलांचे मारते हुए बढ़ रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी बिक्री केवल 3.89 फीसदी बढ़कर 1024.71 करोड़ रुपए पर पहुंची थी, जबकि शुद्ध लाभ 21.10 फीसदी घटकर 263.63 करोड़ रुपए पर आ गया था। मगर इस साल 2011-12 की पहली तिमाही से ही कंपनी की रौनक बढ़ती जा रही है। जून तिमाही में उसकी बिक्री 189.17 फीसदी बढ़कर 517.86 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 280.34 फीसदी बढ़कर 159.59 करोड़ रुपए हो गया।

कंपनी दो सेगमेंट में सक्रिय है – रसायन और बिजली। रसायनों में वह रेफ्रिजरेशन में इस्तेमाल होनेवाली गैसें, एनहाइड्रस हाइड्रोक्लोरिक एसिड, कॉस्टिक सोडा, क्लोरोमीथेन, पॉलि टेट्रा फ्लूरो इथिलीन (पीटीएफई) व पोस्ट ट्रीटेड पीटीएफई बनाती है। वो सभी प्रमुख फ्रिज व एसी बनानेवाली कंपनियों की ओईएम (ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर) है। पीटीएफई एक तरह का विकसित इंजीनियरिंग पॉलिमर है जिसका इस्तेमाल तमाम उद्योगों में ऊष्मा-प्रतिरोधक व इंसूलेशन जैसे कामों में होता है। इसके अलावा कंपनी प्रदूषण कम करके कार्बन क्रेडिट भी कमाती है जो उसकी बिक्री में जुड़ जाता है। कंपनी का रसायन संयंत्र दहेज (गुजरात) में है। उसने चीन की एक कंपनी के साथ एनहाइड्रस फ्लूराइड व संबंधित रसायन बनाने के लिए एक सयुक्त भी बना रखा है जिसमें उसकी 33.77 फीसदी हिस्सेदारी है।

बिजली का धंधा उसका मंदा चल रहा है। सितंबर 2011 की तिमाही में बिजली से हुई उसकी आय 17.65 फीसदी बढ़कर 60.31 करोड़ रुपए हो गई है। लेकिन इसमें शुद्ध लाभ के बजाय उसे 13.70 करोड़ रुपए का घाटा लगा है। सितंबर 2010 की तिमाही में यह घाटा इसका करीब पांचवां हिस्सा, 2.79 करोड़ रुपए था। फिलहाल इसकी बिजली उत्पादन क्षमता 65 मेगावॉट है, जिसे अगले तीन सालों में 2000 मेगावॉट करने का इरादा है।

कंपनी की कुल इक्विटी 10.99 करोड़ रुपए है। इसका 70.01 फीसदी हिस्सा तो प्रवर्तकों के पास ही है। इसके 2.08 फीसदी शेयर एफआईआई और 5.13 फीसदी शेयर डीआईआई के पास हैं। एफआईआई व डीआईआई, दोनों ने ही दिसंबर 2010 के बाद पिछली तीन तिमाहियों में कंपनी में अपना निवेश बढ़ाया है। इक्विटी कम होने के बावजूद बाजार पूंजीकरण 5950 करोड़ रुपए से ज्यादा है तो इसे लार्ज कैप कंपनियों में गिना जाता है। इसके कुल शेयरधारकों की संख्या 11,793 है। इनमें से 10,735 (91 फीसदी) छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के 8.45 फीसदी शेयर हैं। कंपनी की एक फीसदी से ज्यादा पूंजी रखनेवाले तीन बड़े शेयरधारक हैं। इनमें से रूपचंद भंसाली के पास 1.64 फीसदी, जय-विजय रिसोर्सेज प्रा. लिमिटेड के पास 1.36 फीसदी और एफआईएल ट्रस्टी कंपनी के पास 1.40 फीसदी शेयर हैं। बाकी भूल-चूक लेनी-देनी। शेष सूचनाएं तो आप खुद ही जुटा सकते हैं। मेरा बस इतना कहना है कि यह फंडामेंटल स्तर पर काफी मजबूत कंपनी है।

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