रसातल से उठना ही है केपीआर को

यकीनन, आप भी इस बात से इत्तेफाक करेंगे कि शेयर बाजार से पैसे कमाने का आदर्श तरीका है – सबसे कम भाव पर खरीदो और अधिकतम भाव पर बेचकर निकल जाओ। लेकिन व्यवहार में ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि जब कोई शेयर अपने न्यूनतम स्तर पर होता है तब हमें लगता है कि यह तो डूब रहा है, अभी और नीचे जाएगा। वहीं, जब शेयर बढ़ रहा होता है तब हमें लगता है कि अभी और ऊपर जाएगा तो बाद में ही बेचेंगे। यह आम मनोविज्ञान है। लेकिन निवेश करते समय हमें बाहरी स्थितियों से ही नहीं, अपने मनोविज्ञान से भी पार पाना होता है।

जो लोग पिछले कुछ सालों से प्राइमरी व सेकेंडरी बाजार (मतलब आईपीओ और शेयर बाजार) से जुड़े रहे होंगे, उन्हें याद होगा कि अगस्त 2007 में केपीआर मिल के आईपीओ में उसके 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर 225 रुपए पर जारी किए थे। वहीं 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532889) में 129.65 रुपए और एनएसई (कोड – KPRMILL) में इससे भी कम 129.40 रुपए पर बंद हुए हैं। यह इस स्टॉक का 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर है। सोचिए, एफडी में लगाया होता तो 8.5 फीसदी सालाना ब्याज जोड़कर अब तक 225 रुपए के 312 रुपए (कुल 38.67 फीसदी रिटर्न) हो गए होते, जबकि यहां पूंजी ही 42.49 फीसदी स्वाहा हो गई। शेयर बाजार में निवेश करते वक्त लालच को नहीं, बल्कि हमेशा इस जोखिम को याद रखना चाहिए।

केपीआर मिल का शेयर इतना गिरा क्यों? उसने 30 मई को वित्त वर्ष 2010-11 और मार्च की तिमाही के नतीजे घोषित किए। मार्च तिमाही में कंपनी को 282.80 करोड़ रुपए की बिक्री पर पहली बार 22.32 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इस घाटे का शोर मचते ही धीरे-धीरे इस स्टॉक को जिबह कर दिया गया। किसी ने गौर नहीं किया कि यह घाटा डेप्रिसिएशन के मद में असामान्य रूप से 70.84 करोड़ रुपए डालने और 14.42 करोड़ रुपए की ब्याज अदायगी के चलते हुआ है। ब्याज का बोझ दिखाता है कि कंपनी ने भावी योजनाओं के लिए कर्ज ले रखा है और डेप्रिसिएशन एकाउंटिंग का वह मद है जिसमें पुराने संयंत्र व मशीनरी के मूल्यह्रास को दर्ज किया जाता है। इससे कंपनी के वास्तविक धंधे के विकास पर फर्क नहीं पड़ता।

किसी ने यह भी नहीं देखा कि पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में केपीआर मिल ने 1056.81 करोड़ रुपए की आय पर 71.26 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले 2009-10 में उसकी आय 829.57 करोड़ और शुद्ध लाभ 50.18 करोड़ रुपए था। इस तरह कंपनी की आय में 27.4 फीसदी और शुद्ध लाभ में 42 फीसदी का इजाफा हुआ है। कंपनी का मौजूदा स्टैंड-अलोन ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 18.72 रुपए है और उसका शेयर अभी 6.91 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी के पास 543.67 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं और उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू बाजार में अभी चल रहे मूल्य से ज्यादा, 153.97 है।

यकीन मानिए, कंपनी ठोस धरातल पर खड़ी है। इसमें मौजूदा स्तर पर निवेश करना अच्छा रहेगा और लंबे समय में यह अपने आईपीओ के निवेशकों को भी खुश कर देगी। तिरुपुर की यह कंपनी देश में रेडीमेड निटेड अपैरल और कॉटन निटेड फैब्रिक व यार्न की प्रमुख निर्माताओं में शुमार है। वह फाइबर से फैशन तक रेडीमेड परिधानों की पूरी श्रृंखला में यार्न, फैब्रिक, डिजाइनिंग, डाईंग व निर्माण की हर कड़ी पर मौजूद है। इसलिए ज्यादातर मिलों को घेरे में लेनेवाला यार्न बाजार का उतार-चढ़ाव उस पर खास असर नहीं करता।

कंपनी की यात्रा 1984 में शुरू हुई। लेकिन केपीआर मिल के नाम से उसका गठन 2003 में हुआ। 2004 में उसकी क्षमता 50,784 स्पिंडल थी। अब इसकी चार गुना 2,12,064 स्पिंडल है। यार्न व फैब्रिक में देश के भीतर कंपनी के 1000 से ज्यादा नियमित ग्राहक हैं। उसके अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को केयरफोर व बैनडोस (स्विटजरलैंड), कियाबी (फ्रांस), सी एंड ए (जर्मनी) और इथेल ऑस्टिन व मदरकेयर (ब्रिटेन) जैसे बड़े नाम शामिल हैं। उसके प्रतिस्पर्धियों में आलोक इंडस्ट्रीज, स्पेनटेक्स इंडस्ट्रीज, गोकलदास एक्सपोर्ट्स और मैक्सवेल इंडस्ट्रीज को गिना जा सकता है।

हम उसकी वेबसाइट से जान सकते हैं कि कंपनी कैसे हर उपलब्ध संसाधन का अधिकतम उपयोग करने में लगी है। उसने करीब सवा महीने पहले 25 विंड मिल और लगाई हैं। इसके बाद खुद उसके पास हवा से बिजली बनाने की 61.26 मेगावॉट हो गई है। इस तरह कंपनी अपनी जरूरत भर की पूरी बिजली खुद बना लेती है। नतीजतन, उसका बिजली खर्च काफी घट जाता है।

यह सच है कि कपास व कॉटन यार्न की कीमतों और यार्न व कपड़ा निर्यात से संबंधित सरकारी नीतियों से कंपनी का कामकाज प्रभावित होता है। लेकिन अनुभवी प्रवर्तक इससे कायदे से निपटना जानते हैं। कंपनी का परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) पिछली पांच तिमाहियों से लगातार बढ़ रहा है। मार्च 2010 में यह 18.65 फीसदी था तो मार्च 2011 में शुद्ध घाटे के बावजूद 41.79 फीसदी रहा है। यह स्मॉल कैप कंपनी है। उसकी कुल पूंजी 37.68 करोड़ रुपए है जिसका 25.52 फीसदी पब्लिक और बाकी 74.48 फीसदी प्रवर्तकों के पास है।

कंपनी का मौजूदा बाजार पूंजीकरण 488 करोड़ रुपए है, जबकि उसकी समेकित सालाना आय 1107.42 करोड़ रुपए है। बाजार पूंजीकरण का कंपनी की आय का महज 0.44 फीसदी होना भी दिखाता है कि उसमें लंबे समय के लिए निवेश करना सुरक्षित व लाभप्रद है। अभी खरीदने के बाद भी गिरता रहे तो इसे थोड़ा-थोड़ा करके खरीदते रहना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *