हमारे शेयर बाजार पर लगता है कि धमाकों का कोई असर ही नहीं होता। दिल्ली हाईकोर्ट के सामने सुबह करीब 10.15 बजे बम फटा। लेकिन निफ्टी 11 बजे के बाद निर्णायक रूप से 5100 के पार चला गया। बाजार में भारी मात्रा में शॉर्ट सौदे हुए पड़े हैं। गिरावट की आशंका और आनेवाली कुछ नकारात्मक घटनाएं शॉर्ट सेलिंग करनेवालों को अपनी पोजिशन काटने से रोक रही हैं। हालांकि रिटेल निवेशक इससे बेअसर हैं क्योंकि डेरिवेटिव सेगमेंट में सौदे के दिन ही मार्जिन देने के सेबी के नए नियम को पूरा करने जितना धन उनके पास है ही नहीं। नोट करने की बात है कि कैश सेगमेंट में सेटलमेंट की व्यवस्था सौदे के एक दिन बाद यानी टी+1 की है। यह स्थिति एफ एंड ओ (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) सौदों में मार्जिन दे पाने की क्षमता वाले एफआईआई, एचएनआई (हाई नेटवर्थ इडीविजुअल) व डीआईआई के लिए भी धन सोखने का सबब बन गई है।
बाजार पर मार्जिन कॉल का असर बराबर देखा जा रहा है। कम वोल्यूम में ही बाजार बढ़ रहा है। निवेशकों की भागीदारी काफी घट चुकी है। इस तरह छिछला हुआ बाजार उठाने या गिराने दोनों ही तरह के खिलाड़ियों के लिए बड़ा मुफीद है। फिलहाल आज निफ्टी ऊपर में 5154.50 तक जाने के बाद कल से 1.17 फीसदी की बढ़त के साथ 5123.45 पर बंद हुआ है।
हम इसी सितंबर महीने में ही निफ्टी के 5240 पर पहुंचने के अपने लक्ष्य पर कायम हैं। अगर यह 5350 के पार चला गया तो इसके 4100 तक गिरने की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी। इस हद तक आप सभी सुरक्षित हैं क्योंकि हमने चंद स्टॉक्स को छोड़कर कभी भी बढ़ने पर बेचने की सलाह नहीं दी। हमने उन्हीं स्टॉक्स को बेचने को कहा है जिनमें वाकई जोखिम ज्यादा है और जो मूलतः काफी कमजोर हैं। ये भले ही सटोरियों की पसंद हों, लेकिन लंबे समय में नहीं टिक पाएंगे क्योंकि ऑपरेटरों तक के लिए इनसे निकल पाना मुश्किल हो जाएगा और एक बुरी खबर भी इन्हें 20 फीसदी के निचले सर्किट तक गिरा ले जाएगी। इसलिए ऐसे स्टॉक्स से दूर रहना ही भला।
आप डाउनग्रेड किए जाने का खेल बराबर देख चुके हैं। खासकर एसबीआई के मामले से आप समझ सकते हैं कि एफआईआई किसी स्टॉक को क्यों डाउनग्रेड करना चाहते हैं। यह बात डीएलएफ, अडानी और जेएसडब्ल्यू स्टील के मामले में भी लागू होती है। जेएसडब्ल्यू स्टील में जब जापानी कंपनी ने 1500 रुपए की दर से हिस्सेदारी खरीदी, तब आप तेजी की बात कर रहे थे। और अब, जब वो गिरकर 700 रुपए के करीब आ चुका है तो आप मंदी की बात करने लगे? वाह इंडिया! वाह!! जो इनकी बातों में आ जाते हैं, वे इस धरती के सबसे बड़े मूर्ख हैं। एसबीआई जब 900 रुपए पर था, तब उसे 540 रुपए के लक्ष्य के साथ डाउनग्रेड कर दिया गया था। इसके बाद वो 3600 रुपए तक चला गया। भारती एयरटेल, आइडिया व रिलायंस इडस्ट्रीज (आरआईएल) भी इनके शानदार उदाहरण हैं।
हमें सूत्रों से पता चला है कि अनिल अंबानी समूह (एडीएजी) के स्टॉक्स में बडी तैयारियां चल रही हैं और ये अगले छह महीनों में दोगुने हो जाएंगे। अब बिग बुल (राकेश झुनझुनवाला) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आर कॉम) में खरीद शुरू कर दी है। समूह की रणनीति में कुछ बड़े एफआईआई भी शामिल हैं। पहला चरण एडीए ग्रुप के शेयरों का है। उसके बाद दूसरे स्टॉक्स पर भी यह रणनीति चलेगी।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी आधिकारिक तौर पर कह चुके हैं कि रिजर्व बैंक को अब ब्याज दरें नहीं बढ़ानी चाहिए। रिजर्व बैंक गवर्नर सुब्बाराव ने कल इशारा भी कर दिया है कि एसएलआर को घटाया जा सकता है। उधर अमेरिका में बराक ओबामा सिस्टम में तरलता लाने के लिए अल्पकालिक व दीर्घकालिक ऋणों की रणनीति अपनाएंगे। हम बड़ी आसानी से यूरोप और अमेरिका के ऋण संकट पर बहस करते रहे। लेकिन हम देख रहे हैं कि यूरोप की सरकारों के पास इन हालात से निपटने के लिए ऐसे-ऐसे उपाय हैं जिनके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। पहला अस्त्र कल चलाया गया है जो डॉलेक्स सूचकांक को कमजोर और रुपए को मजबूत बनाएगा। ऐसे तमाम उपाय आगे भी आएंगे और ओवरसोल्ड बाजार पलटकर उठेगा। इस तरह अतिशय निराशावाद के गर्भ से बाजार में नई तेजी का जन्म होगा।
वैसे, हम कुछ ज्यादा ही विचलित होते रहे हैं। बल्कि सच करें तो हमारे बाजार के सरगना लोग हमें हमेशा जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया दिखाना सिखाते रहे हैं। स्क्रीन पर भावों को देखकर वे ऐसी चीख-पुकार मचा देते हैं कि हमें लगता है कि अब शॉर्ट सौदों में ही भलाई है। बस, उनका काम बन जाता है। अगस्त में सभी लांग थे तो उस्ताद लोग निफ्टी को गिराकर 4730 तक ले गए ताकि कैश का अंतर जेब में भरा जा सके। अब बाजार के 5150 पर पहुंचने पर भी वे कैश का अंतर लेकर जाएंगे। यह बिना एबीसी (अमिताभ बच्चन) के चल रहा केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) का शो है।
काम ऐसे करो जैसे कि तुम्हें धन चाहिए ही नहीं। प्यार ऐसे करो जैसे कि तुम्हें कभी चोट ही नहीं लगती। और, नाचो ऐसे जैसे कि तुम्हें कोई देख ही नहीं रहा।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)