कोर-कसर बाकी करूर वैश्य बैंक में

शेयर बाजार ही वह ठौर है जहां पहुंचाकर अपनी बचत को हम मुद्रास्फीति के क्षयकारी असर से बचा सकते हैं। चूंकि भारत सरकार की तरफ से सरकारी दामादों को छोड़कर किसी भी भारतीय को सामाजिक सुरक्षा नहीं मिली है, इसलिए हारी-बीमारी से लेकर बच्चो की पढ़ाई-लिखाई, शादी-ब्याज व अपने रिटायरमेंट तक के लिए हमें खुद ही बचाना पड़ता है। लेकिन सरकार शायद लंबे समय तक सामाजिक सुरक्षा दे भी नहीं सकती। यूरोप में तो थी व्यक्ति को पूरी आजादी देनेवाली सामाजिक सुरक्षा। लेकिन यूरोप की सरकारें ऋण संकट में फंस गई। आज वे मजबूरन खर्च घटा रही हैं तो ग्रीस से लेकर इटली व स्पेन तक में सड़कों पर बवाल मच गया है।

इसलिए अपनी हिफाजत के लिए निवेश तो हमें खुद ही करना पड़ेगा। काश! भारत सरकार मुद्रास्फीति को बेअसर करनेवाला कोई बांड जारी कर देती तो आम आदमी को अपनी बचत को खोखला होने से बचाने के लिए ज्यादा मगजमारी नहीं करनी पड़ती। दिक्कत यह भी है कि हमारे यहां सक्रिय 42 म्यूचुअल फंडों में से किसी को भी अपने ऊपर इतना भरोसा नहीं है कि वे मुद्रास्फीति की काट के लिए कोई इनफ्शेलन स्कीम पेश कर सकते हैं। सारे फंड हज़ारों स्कीमों के जरिए बस लोगों को चरका पढ़ाकर धंधा चमकाने में जुटे हैं।

खैर, आज की निवेश चर्चा। यूं तो बहुत सारे शेयर पिछले साल भर में इतना गिर चुके हैं, उन्हें जमीन पर गिरे आम की तरफ बीन लेना चाहिए। लेकिन कुछ शेयर ऐसे हैं जिन्हें अभी और गिरना चाहिए। जैसे, करूर वैश्य बैंक का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर सोमवार, 5 दिसंबर को बीएसई (कोड – 590003) में 389.55 रुपए और एनएसई (कोड – KARURVYASYA) में 390.75 रुपए पर बंद हुआ है। यह निजी क्षेत्र के सबसे मजबूत बैंकों में शुमार है। इसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 42.77 रुपए है और यह फिलहाल 9.11 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह पिछले साल सितंबर में 15.13 के पी/ई पर ट्रेड हो चुका है, जब यह 508.13 रुपए की ऊंचाई पर चला गया था।

बता दें कि एचडीएफसी बैंक का पी/ई अनुपात इस समय 27.97, आईसीआईसीआई बैंक का का 15.49 और एक्सिस बैंक का 13.07 चल रहा है। जाहिर है कि ये सभी देश में निजी क्षेत्र के तीन सबसे बड़े बैंक हैं और करूर वैश्य बैंक की बैलेंसशीट काफी छोटी है। लेकिन करूर वैश्य बैंक का इक्विटी पर रिटर्न इनमें सबसे ज्यादा, 22.12 फीसदी है। यह भी सच है कि भारतीय बैंकिंग उद्योग को हाल ही अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों के डाउनग्रेड का सामना करना पड़ा। इसलिए हो सकता है कि करूर वैश्य बैंक का शेयर अगले कुछ महीनों में और नीचे आ जाए। करीब चार महीने पहले 19 अगस्त 2011 को इसके शेयर ने 346 रुपए की तहलटी पकड़ी है। अभी इसके और गिरकर 310 रुपए के आसपास आने का इंतजार करना चाहिए।

वैसे, हमारे बाजार की वोलैटिलिटी का कोई जवाब नहीं है। करूर बैंक का शेयर 15 जुलाई 2011 को इंट्रा-डे में 479.15 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर बना गया। लेकिन अगले ही महीने 19 अगस्त 2011 तक करीब 28 फीसदी गिरकर 346 रुपए की घाटी में चला गया!  इस दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे शेयर को ऐसी धमक लगती। कंपनी ने महीने भर पहले 2 नवंबर को सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए, जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2011-12 की दूसरी तिमाही में उसकी आय 48.94 फीसदी बढ़कर 772.05 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 10.44 फीसदी बढ़कर 113.31 करोड़ रुपए हो गया। बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में बैंक ने 2217.69 करोड़ की आय पर 415.59 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था।

बैंक का गठन अंग्रेजों के जमाने में 1916 में तमिलनाडु के करूर शहर में किया गया था। मकसद था टेक्सटाइल के धंधे से जुड़े इस शहर के व्यापारियों और आसपास के छोटे किसानों में बचत की आदत डालना। बैंक के पास 30 सितंबर 2011 तक कुल 403 शाखाएं और 605 एटीएम हैं। मार्च तक बैंक की योजना अपनी शाखाओं की संख्या बढ़ाकर 450 कर देने की है। पांच साल बाद 2016 में बैंक अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा। तब तक उसका लक्ष्य 800 शाखाए बना देने का है।

बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 14.02 फीसदी का है, जबकि रिजर्व बैंक का मानक 9 फीसदी का है। नियमतः बैंकों को अपने फंसे हुए ऋणों या एनपीए का 70 फीसदी प्रावधान कर लेना चाहिए। करूर वैश्य बैंक ने इस मायने में 80.48 फीसदी का स्तर हासिल कर रखा है। कुल ऋणों में उसके एनपीए का हिस्सा 0.29 फीसदी है जिसे बेहद कम माना जाएगा। बैंक बराबर लाभांश देता रहा है। वित्त वर्ष 2007-08 से लेकर 2010-11 तक हर साल उसने दस रुपए पर 12 रुपए यानी 120 फीसदी का लाभांश दिया है। बैंक 2002 से लेकर अब तक तीन बार अपने शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी कर चुका है। ऐसे में थोड़े इंतजार के बाद करूर वैश्य बैंक में साल 2016 तक के लिए निवेश करना सही रहेगा।

बैंक की कुल इक्विटी 107.72 करोड़ रुपए है। उसके प्रवर्तकों में 54 लोग शामिल हैं, जिनके पास कुल 3.27 फीसदी शेयर हैं। बाकी 20.92 फीसदी एफआईआई और 6.79 फीसदी डीआईआई के पास हैं। बैंक के कुल शेयरधारकों की संख्या 66,529 है। इसमें से 63,405 यानी 95.3 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे शेयरधारक हैं जिनके पास कुल 25.20 फीसदी हिस्सेदारी है। बैंक के 11 बड़े शेयरधारकों में राकेश झुनझुनवाला भी शामिल हैं जिनके पास इसके 4.49 फीसदी शेयर हैं।

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