सेल में शॉर्ट के साथ कट रहा कंटक

बाजार के पहले आधे घंटे में आया उछाल दमदार नहीं दिखा। बल्कि, लगता है कि यह मंदड़ियों को 5110 पर स्टॉप लॉस का डर दिखाने की कसरत थी। फिर बाजार ने शुरुआती बढ़त छोड़ दी और 5096.55 तक पहुंचने के बाद गिरने लगा। मंदड़ियों ने 5040 के लक्ष्य के साथ 5090 पर फिर से शॉर्ट सौदे करने शुरू कर दिए। दोपहर दो बजे के आसपास बाजार ने फिर पेंग भरी और निफ्टी 5099.25 तक पहुंच गया। लेकिन आखिर में कुल बढ़त 0.47 फीसदी तक सिमट गई और निफ्टी 5062.60 पर बंद हुआ।

इस सारी उठा-पटक के बावजूद अब मेरी धारणा गहराती जा रही है कि निफ्टी इसी सेटलमेंट में बढ़कर 5180, 5250 और 5320 तक चला जाएगा। हालांकि बहुतेरे कारक रैली की उम्मीद पर पानी फेर रहे हैं। लेकिन हकीकत यही है कि बाजार अब भी ओवरसोल्ड अवस्था में पड़ा हुआ है। आज के हालात में वाकई यह बहुत बड़ी बेवकूफी और नासमझी होगी कि महज 50 अंकों के लिए ट्रेड किया जाए।

शुक्रवार को ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ का फैसला दुनिया के बाजारों में रैली की वजह बन सकता है। फिच रेटिंग्स ने अनुमान लगाया है कि चीन सीआरआर में एक और कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है कि भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों की जमा से अपने पास बतौर कैश रखे जानेवाली रकम के इस अनुपात, सीआरआर में कटौती के लिए बाध्य हो जाएगा। तमाम फंड मैनेजरों व जानकारों के मुताबिक 16 दिसंबर को मौद्रिक नीति की मध्य-त्रैमासिक समीक्षा के दिन ऐसा हो सकता है।

डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट का अंत अब भी काफी दूर है। इसलिए बाजार में असली ड्रामा 20 दिसंबर के बाद शुरू होगा। लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि निफ्टी के न बढ़ने पर भी स्टॉक्स बढ़ सकते हैं जिसकी सीधी-सी वजह दिसंबर में होनेवाला एनएवी का खेल है। इसलिए इस महीने शॉर्ट सेलिंग से बचना चाहिए।

दूसरे, मैने आपको बार-बार बताया है कि सेटलमेंट के आधे हिस्से में जो स्टॉक्स बढ़ते हैं, वे कैश सेटलमेंट की व्यवस्था के चलते बाकी आधे हिस्से में भी बढ़ते रहते हैं और जो गिरते हैं, वे गिरते ही जाते हैं। इस लिहाज से मुझे लगता है कि एसबीआई, हिंडाल्को, टाटा स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सेल, जिंदल स्टील, आईएफसीआई, बॉम्बे डाईंग व जेएसडब्ल्यू स्टील एकतरफा बढ़त हासिल कर सकते हैं और सेटलमेट के दिन नई ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं। वहीं पैंटालून रिटेल व जेट एयरवेज कैश सेटलमेंट का ग्रास बनेंगे और वर्तमान स्तर से भी नीचे गिरा डाले जाएंगे।

सेल सचमुच का स्टार परफॉर्मर बन सकता है क्योंकि कुछ फंडों मे इसमें अपनी शॉर्ट पोजिशन काटनी शुरू कर दी है। असल में सार्वजनिक क्षेत्र की इस स्टील कंपनी के तीसरी तिमाही के नतीजे काफी अच्छे आ सकते हैं। महाराष्ट्र इलेक्ट्रोस्मेल्ट का विलय, ऑस्ट्रेलिया में कोकिंग कोयले की खदानों का अधिग्रहण और स्टॉक की ओवरसोल्ड अवस्था इसे एक बार फिर बाजार का दुलारा बना सकती है। यह स्टॉक 260 रुपए से गिरकर 86 रुपए तक पहुंचा है, जबकि इसकी बुक वैल्यू ही 90 रुपए है। सरकार ने इसका एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) लाने का इरादा भी छोड़ दिया है। ये सारी बातें इस स्टॉक में तेजी के दौर की जमीन तैयार कर रही हैं। इसमें मौजूदा भाव पर जबरदस्त खरीद बनती है। सेल कुछ अन्य अनलिस्टेड सरकारी कंपनियों के विलय की घोषणा कर सकती है जिससे यह बहुत ही मजबूत कंपनी बन जाएगी। हालांकि कंपनी के अंदर डर है कि इससे उस पर कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा।

डर अंधविश्वास का मूल स्रोत है। यह क्रूरता की भी वजह बनता है। डर को जीतने से ही समझदार बनने की राह खुलती है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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