राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता के नए-नए खुलासों ने सरकार को देश के भीतर या बाहर कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है। इसने कांग्रेस आलाकमान को काफी परेशान कर दिया है। उसी के दबाव में खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने कैबिनेट सचिव को खेलों से जुड़े तमाम स्टेडियमों का मुआयना करने का निर्देश दिया है। साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति की कार्यकारिणी की विशेष बैठक 5 अगस्त, गुरुवार को बुलाई गई है। उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि यह सारी कवायत इसलिए है ताकि सुरेश कलमाडी को आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया जाए और यह काम शुक्रवार तक पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है। कलमाडी के खिलाफ जांच भी बैठाई जा सकती है।
सरकार का आकलन है कि इससे करीब दो महीने बाद 3 से 14 अक्टूबर तक होनेवाले खेलों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते विदेश में भारत की जो छवि खराब हुई है, उसे सुधारने का मौका मिल सकता है। मंगलवार को संसद में भी हंगामा हुआ कि अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए विशेष निधि से 744 करोड़ रुपए राष्ट्रमंडल खेलों में डाल दिए गए हैं। यह जानकारी खुद सरकार की तरफ से सूचना अधिकार कानून के तहत उपलब्ध कराई गई है। लेकिन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इससे साफ-साफ इनकार कर दिया है।
दूसरी तरफ आयोजन समिति के अध्यक्ष होने के बावजूद सुरेश कलमाडी आखिरी वक्त तक मामले को टालने या किसी और भी बकरा बनाने की फिराक में हैं। उन्होंने विदेश मंत्री एस एम कृष्णा से मिलने के बाद ब्रिटिश कंपनी ए एम कार्स एंड वैन्स को गलत तरीके से ठेके देने के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय दल बना दिया है। पहले इस मामले में कलमाडी लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग से मिले ई-मेल का हवाला दे रहे थे। लेकिन अब आशंका है कि ये ई-मेल फर्जी हैं।
यूं तो केंद्रीय सर्तकता आयोग तक राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े तमाम कामों में अनियमितता का जिक्र कर चुका है। लेकिन कलमाडी का खेल तब बिगड़ा जब मीडिया में खबरें आई कि छोटी-छोटी चीजों तक में भयंकर घपले किए गए हैं। पता चला कि आयोजन समिति ने 45 दिन के लिए ट्रेड मिल मशीनें प्रति मशीन 9.75 लाख रुपए की दर से किराए पर ली है, जबकि दुनिया में सबसे बढिया ट्रेड मिल की कीमत 7 लाख रूपए से ज्यादा नहीं है। इसी तरह डेढ़ महीने के लिए कुर्सियां व फ्रिज क्रमशः 8378 रुपए और 42,202 की दर से किराए पर लिए गए हैं। बाथरूम के एक टिशू रोल की कीमत 4238 रुपए दी गई है। ऐसी खबरों ने कलमाडी को अबाध भ्रष्टाचार का सरगना बना दिया है।
उधर राष्ट्रमंडल खेल फेडरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) माइक हूपर ने भी सोमवार को खेल परियोजना का काम पूरा न होने पर कलमाडी की जमकर फटकार लगाई। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में भी कलमाडी को आडे हाथों लिया। कलमाडी ने गुरुवार को कार्यकारिणी की बैठक भी भारतीय ओलम्पिक संघ के महासचिव रणधीर सिंह और खेलों का आयोजन समिति के उपाध्यक्ष विजय मल्होत्रा के दबाव में बुलाई है।
पहले खुद कांग्रेस के सांसद और पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर ने आरोपों का पिटारा खोला और कहा कि अब तक किसी भी राष्ट्रमंडल खेल पर इतनी रकम नहीं खर्च की गई है और इस जनता के टैक्स से हासिल यिस 35,000 करोड़ रुपए से न जाने कितने बच्चों की शिक्षा का इंतजाम हो सकता था। अब बीजेपी ने इस मुद्दे को सड़क पर उतार दिया है। उसका तो यहां तक कहना है कि इन खेलों का शुरुआती खर्च महज 1899 करोड़ आंका गया था, जिसे बढ़ाकर 87,000 करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया है। इस तरह बजट के बढ़ने और भ्रष्टाचार के आरोपों में सीधा संबंध है और इसकी जांच कराई जानी चाहिए।