सामाजिक जीवन में आप क्या हैं, इससे ज्यादा फर्क इस बात से पड़ता है कि लोगबाग आपके बारे में क्या धारणा रखते हैं। शेयर बाजार में भी कमोबेश यही होता है। बाजार को लग रहा है कि उजाला, मैक्सो, एक्सो, जीवा और फैब्रिक स्पा जैसे ब्रांडों से ग्राहकों के बीच धूम मचानेवाली कंपनी ज्योति लैब्स का जर्मन कंपनी हेंकेल की भारतीय शाखा को खरीदने का फैसला गलत है तो वह इसे सही मानने को तैयार ही नहीं है और उसका शेयर गिरता ही जा रहा है।
ज्योति लैब्स ने धंधे का पूरा हिसाब-किताब लगातार इस साल मार्च में घाटे में चल रही हेंकेल इंडिया को खरीदने का फैसला किया। मिस्टर व्हाइट, फा, प्रिल, सुपर चेक, हेंको, नीम व मार्गो जैसे ब्रांडों की मालिक हेंकेल इंडिया अब उसकी सब्सिडियरी बन गई है। लेकिन निवेशकों को लगता है कि यह घाटे का सौदा ज्योति लैब्स पर भारी पड़ेगा तो मार्च से उसके शेयर के गिरने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा। कल, 12 अक्टूबर 2011 को इसका शेयर 52 हफ्तों के पेंदे, 139.20 रुपए पर पहुंच गया। हालांकि यह अक्टूबर 2008 में 42 रुपए तक भी जा चुका है। इसका अब तक का उच्चतम स्तर 322.80 रुपए है जो इसने एक साल पहले 25 अक्टूबर 2010 को हासिल किया था।
कल इसका एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 532926) में 3.40 फीसदी गिरकर 140.45 रुपए और एनएसई (कोड – JYOTHYLAB) में 3.39 फीसदी गिरकर 139.85 रुपए पर बंद हुआ है। इस साल 20 जुलाई को ऊपर में 252 रुपए तक जाने के बाद कल 12 अक्टूबर को नीचे में 139.20 रुपए तक गिरकर यह अपना करीब 45 फीसदी मूल्य खो चुका है। इसी दौरान बीएसई का एफएमसीजी सूचकांक 20 जुलाई को ऊपर में 4119.79 से कल नीचे में 3900.43 तक पहुंचा है। यह मात्र 5.32 फीसदी की गिरावट है। जाहिर है कि ज्योति लैब को बाजार को बड़ा तगड़ा फटका लग रहा है।
यूं तो हेंकेल इंडिया अब भी लिस्टेड है और इसके शेयरों में बाकायदा ट्रेडिंग भी हो रही है। लेकिन 10 सितंबर 2011 को दी गई जानकारी के मुताबिक ओपन ऑफर के बाद ताजा स्थिति यह है कि हेंकेल इंडिया की 83.65 फीसदी इक्विटी अब ज्योति लैब्स के पास है और पब्लिक के पास उसके 16.35 फीसदी शेयर ही बचे हैं। देर-सबेर हेंकेल को ज्योति लैब में मिला दिया जाना है। फिलहाल सितंबर तिमाही से ज्योति लैब के स्टैंड एलोन नहीं, बल्कि समेकित नतीजे ही पूरी तस्वीर पेश करेंगे। विलय की व्यावहारिक प्रक्रिया जारी है। ज्योति लैब ने इस सिलसिले में एक पुनर्गठन समिति बना दी है।
शेयर इतने ज्यादा शायद इसलिए गिर गए क्योंकि हेंकेल इंडिया और ज्योति लैब दोनों की जून तिमाही के नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं। हेंकेल की बिक्री 25 फीसदी घट गई तो ज्योति लैब की 18.72 फीसदी। इस दौरान ज्योति लैब का शुद्ध लाभ 45.23 फीसदी घटकर 25.60 करोड़ रुपए से 14.02 करोड़ रुपए पर आ गया। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 608.02 करोड़ रुपए की बिक्री पर 80.27 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। फिलहाल ज्योति लैब का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 8.51 रुपए है और उसका शेयर 16.5 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह दिसंबर 2009 में 36.18 तक के पी/ई पर ट्रेड हो चुका है।
लेकिन ज्योति के अतीत का अब कोई मतलब नहीं है। हेंकेल को खरीदने के बाद जो भविष्य बनेगा, असली मतलब उसका है। जब तक मार्केटिंग व वितरण के स्तर विलय की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है, तब तक ज्योति लैब के शेयरों में उथल-पुथल मची रहेगी। लेकिन जब काफी सोच-समझकर कंपनी के प्रबंधन ने इसका फैसला किया है तो भरोसा रखिए कि अंत भला ही होगा। दूरगामी निवेश के लिए ज्योति लैब का यूं तलहटी पर गिरना उसे उठाने का अच्छा मौका दे रहा है।
ज्योति लैब को हेंकेल के खातों में दर्ज कुल 358 करोड़ रुपए के घाटे का बोझ उठाना है। लेकिन इसका इस्तेमाल वह आनेवाले सालों में अपनी करदेयता घटाने में कर सकती है जिससे उसका शुद्ध लाभ बढ़ेगा तो ईपीएस भी बढ़ जाएगा। ज्योति लैब ने जून तिमाही में 460 करोड़ रुपए के छोटी अवधि के डिबेंचर भी जारी किए हैं जिसका इस्तेमाल हेंकेल के इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट को लौटाने के लिए किया गया है। इस ऋण को किनारे लगाने के लिए ज्योति लंबी अवधि के लोन ले सकती है या इक्विटी शेयर भी जारी कर सकती है।
एक बार यह सारी रगड़-धगड़ खत्म हो जाए तो विलय के सारे सकारात्मक पहलू सामने आने लगेंगे। तब तक सब कुछ धुंधला व धूमिल ही रहेगा। जैसे ही पहले सकारात्मक संकेत मिलेंगे, शेयर अचानक उछलने लगेगा। इसलिए फिलहाल इस समय इसे पकड़ लेना बेहतर रहेगा, कम से कम तीन साल के लिए। हां, इसके अभी गिरने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए खरीदना है तो यह काम थोड़ा-थोड़ा करके एसआईपी के अंदाज में करना चाहिए।
hello mr anil,
jyothy lab ka analysis achha laga.aap se anurodh hai ,MOIL par bhi kuch analyse kijeye
lena chahye ya rukna chahye?
rgrds
dr randeep singh
Dr.Randeep aap shayad Arthkaam roz nahi padhte. Kuch mahine pehle Anil ji MOIL ke bare apni soch bata chuke hai. Moil ko zabardasti giraya ja raha hai, thoda thoda kar kharidna suru kijiye.