कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयानों से आहत कर्नाटक के लोकायुक्त न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने अण्णा हज़ारे की अगुवाई में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं के आग्रह को स्वीकार करते हुए लोकपाल विधेयक मसौदा समिति में बने रहने का फैसला किया है। पहले उन्होंने कहा था कि वे सोमवार को यह संयुक्त समिति छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं।
उधर, लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित मसौदा समिति में समाज की ओर से शामिल सदस्यों ने यह भी फैसला किया कि उनके साथियों पर लगे आरोपों की ‘उच्चस्तरीय, स्वतंत्र और शीर्ष अदालत की निगरानी में जांच कराने के लिए’ वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एस कपाड़िया को सोमवार को पत्र लिखेंगे।
सीडी विवाद और भूमि आवंटन विवाद में संयुक्त समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण के फंसने और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के भूषण व हेगड़े के बारे में टिप्पणी करने के बाद शनिवार को हजारे पक्ष की पहली अहम बैठक हुई। बैठक में समिति के सदस्य हज़ारे, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और हेगड़े के साथ ही किरण बेदी और स्वामी अग्निवेश ने भाग लिया। बैठक में कहा गया कि इंडिया अगेन्स्ट करप्शन का मुख्य राष्ट्रीय कर्तव्य देश को एक स्वतंत्र व जवाबदेह लोकपाल देना है और वे इससे पीछे नहीं हटेंगे।
बाद में संवाददाताओं से बातचीत में हेगड़े ने कहा, ‘‘मुझे लेकर की गई टिप्पणियों से मैं आहत जरूर हूं लेकिन मैंने दिल्ली आकर संयुक्त समिति में शामिल साथी सदस्यों के साथ सलाह-मशविरा करने का फैसला किया था। मैंने समिति में बतौर सदस्य बने रहने की साथी सदस्यों की अपील स्वीकार कर ली है।’’
इससे पहले केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने संयुक्त समिति में किसी भी तरह के बदलाव की संभावना को खारिज कर दिया और कहा कि सरकार लोकपाल विधेयक पर न्यायूमर्ति संतोष हेगड़े से सलाह लेने के प्रति आशान्वित है।
दस सदस्यीय मसौदा समिति में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल खुर्शीद ने कहा, ‘‘मैं उनके (हेगड़े के) योगदान को काफी महत्व देता हूं और उनके प्रति काफी सम्मान की भावना रखता हूं। मुझे उम्मीद है कि वे हमारे साथ बने रहेंगे। हम उनका योगदान चाहते हैं। हमें (सरकार को) उनकी सलाह मिलने की उम्मीद है और हम ईमानदारी से ऐसी आशा रखते हैं।’’