मुद्रास्फीति बढ़ने से बढ़ी रिजर्व बैंक की उलझन, ब्याज बढ़ाना मजबूरी

मंगलवार को मई में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार घटकर 5.6 फीसदी रह जाने का आंकड़ा सामने आया तो लगने लगा कि रिजर्व बैंक शायद 26 जुलाई, मंगलवार को मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें बढ़ाने का अमंगल न करे। लेकिन जून माह में सकल मुद्रास्फीति के बढ़कर 9.44 फीसदी हो जाने ने इस आशा पर पानी फेर दिया है। अब नीतिगत दरों – रेपो व रिवर्स रेपो दर में कम से कम 0.25 फीसदी वृद्धि करना रिजर्व बैंक की मजबूरी बन गया है।

बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे का कहना है, “आज आए मुद्रास्फीति के आंकड़े ने रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति में कड़ाई जारी रखने के लिए बाध्य कर दिया है। लेकिन ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील कई उद्योग क्षेत्रों में आई धीमेपन को देखते हुए वह ज्यादा वृद्धि के बजाय खुद को 25 आधार अंक (0.25 फीसदी) तक सीमित रखेगा।” इस समय रेपो और रिवर्स रेपो दरें क्रमशः 7.5 फीसदी और 6.5 फीसदी हैं।

मई 2011 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 9.06 फीसदी थी। लेकिन वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जून 2011 में यह 9.44 फीसदी हो गई है। यही नहीं, अप्रैल 2011 की मुद्रास्फीति का वास्तविक स्तर 8.66 फीसदी के अनंतिम स्तर से बढ़ाकर 9.74 फीसदी कर दिया गया है। इससे माना जा रहा है कि मई व जून की वास्तविक दर भी अभी तक घोषित आंकड़ों से ज्यादा रहेगी।

जून की मुद्रास्फीति को बढ़ाने में पेट्रोल और डीजल वगैरह का ही नहीं, मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का भी योगदान रहा है। जहां ईंधन की मुद्रास्फीति मई के 12.32 फीसदी से बढ़कर 12.85 फीसदी हो गई है, वहीं विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर भी 7.27 फीसदी से बढ़कर 7.43 फीसदी हो गई है। थोक मूल्य सूचकांक में ईंधन व बिजली का योगदान 14.91 फीसदी, मैन्यूफैक्चर्ड या विनिर्मित उत्पादों का 64.97 फीसदी और खाद्य वस्तुओं का योगदान 14.34 फीसदी है। ध्यान देने की बात यह है कि जून में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सकल महंगाई दर से कम 8.38 फीसदी रही है।

लेकिन जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने के संकेत हैं। गुरुवार को ही जारी आंकड़ों के मुताबिक 2 जुलाई को खत्म सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ कर 8.31 फीसदी पर पहुंच गई। यह दर इससे पिछले सप्ताह 7.61 फीसदी पर थी। इसकी खास वजह अंडा, मांस व मछली से लेकर अनाज व सब्जी की कीमतों का बढ़ जाना है।

समीक्षाधीन सप्ताह में फलों के दाम एक साल पहले इसी समय की तुलना में 13.54 फीदी, दूध 12.39 फीसदी और अंडा, मीट व मछली जैसी प्रोटीन वाली वस्तुओं के भाव 11.95 फीसदी ऊंचे रहे हैं। इसी तरह वार्षिक आधार पर अनाज में 5.40 फीसदी, सब्जी में  2.25 फीसदी और प्याज के दाम में औसतन 30.72 फीसदी तेजी दर्ज की गई है। हालांकि, इस दौरान दालों की कीमतें एक साल पहले की तुलना में 8.46 फीसदी और आलू के दाम में 2.56 फीसदी की नरमी रही।

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