नए साल का पहला कारोबारी सत्र। आपके लिए क्या पेश करूं? उलझन में हूं। सोचता हूं निवेश के माध्यमों में सबसे ज्यादा जोखिम शेयरों में है तो क्यों न साल की शुरुआत सुरक्षा के बजाय भरपूर जोखिम से की जाए। पहले ही दिन बहुत बच-बचकर क्यों चला जाए! तो ऐसा शेयर जो 36.53 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इतने पी/ई का कोई भी शेयर महंगा ही कहा जाएगा। लेकिन जब पूरा सेक्टर तेजी से बढ़ रहा हो तो दांव लगाया जा सकता है। जी हां, आज पकड़ते हैं जेट एयरवेज (बीएसई – 532617, एनएसई – JETAIRWAYS) की फ्लाइट।
दिसंबर में देश में जहाज से उड़नेवाले यात्रियों की संख्या 12 फीसदी बढ़ गई है। सिविल एविएशन सेक्टर इस रफ्तार बढ़ेगा तो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी जेट एयरवेज के लाभ का बढ़ना भी लाजिमी है। उम्मीद है कि कंपनी की तीसरी तिमाही के नतीजे शानदार रहेंगे। साल 2010 के आखिरी दिन 31 दिसंबर को इसका शेयर 4.34 फीसदी बढ़कर 762.85 रुपए पर बंद हुआ है। बाजार के जानकारों का आकलन है कि यह शेयर जल्दी ही 850 रुपए के ऊपर पहुंच सकता है। वैसे भी यह 10 नवंबर 2010 को 926.35 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर बना चुका है। बता दें कि यह एक ग्रुप का शेयर है और इसमें फ्यूचर व ऑप्शंस सौदे भी होते हैं। इसलिए इसके डेरिवेटिव सौदों का असर भी इसके शेयर पर पड़ता है। जोखिम ज्यादा है, पर उसे नांथा भी जा सकता है।
कंपनी ने साल 2009-10 में 10,359.69 करोड़ रुपए की आय पर 467.64 करोड़ रुपए का घाटा उठाया था। लेकिन फिर जून 2010 की तिमाही में उसने 2965.01 करोड़ रुपए की आय पर 3.52 करोड़ और सितंबर 2010 की तिमाही में 3105.04 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। ठीक पिछले बारह महीनों का हिसाब लगाएं तो उसका टीटीएम ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 20.88 रुपए निकलता है, जबकि शेयर की बुक वैल्यू 97.64 रुपए है। दिसंबर तिमाही के नतीजे कंपनी के ईपीएस में और इजाफा कर सकते हैं।
जेट एयरवेज ने अपनी पहली फ्लाइट 1993 में शुरू की थी। अब सत्रह साल बाद वह देश के भीतर 47 ठिकानों और देश के बाहर 24 ठिकानों तक उड़ान भरती है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती एयरलाइन कंपनियों में गिनी जाती है। जेट एयरवेज मुख्य कंपनी है तो 2007 में सहारा एयर के अधिग्रहण के बाद बनाई गई सब्सिडियरी जेट लाइट लो-कॉस्ट सेगमेंट को पकड़ती है। जेट एयरवेज के पास 91 एयरक्राफ्ट है तो जेट लाइट के पास 18 जहाजें हैं। कुल मिलाकर कंपनी की बिजनेस रणनीति ऐसी है कि उसे बढ़ना ही बढ़ना है।
कंपनी की इक्विटी 86.33 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 80 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास और 7.10 फीसदी एफआईआई व 9.73 फीसदी डीआईआई के पास है। जाहिर है, नए नियम के तहत प्रवर्तकों को अपनी हिस्सेदारी घटाकर 75 फीसदी पर लानी पड़ेगी तो कंपनी का एफपीओ भी देर-सबेर आना ही है। कंपनी के बड़े शेयरधारकों में एलआईसी (2.73 फीसदी) और एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (4.68 फीसदी) शामिल हैं।
अंत में और एक छोटी-सी चर्चा। श्री अष्टविनायक सिने विजन का नाम आईबी रिपोर्ट में आने के बाद महीने भर में 23.85 रुपए से गिरकर 8.05 रुपए पर आ चुका है। बता दें कि दबंग फिल्म इसी कंपनी के बैनर से निकली है जिसमें वह 100 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर चुकी है। अभी उसकी नौ फिल्मों पर काम चल रही है। जोखिम लेनेवाले अब श्री अष्टविनायक पर दांव लगा सकते हैं।