आखिरकार रोलओवर जाते-जाते थोड़ी तकलीफ दे ही गया। हालांकि निफ्टी खुद को 5300 के स्तर पर टिकाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसमें दम नहीं दिख रहा। वैसे तो हमने कल ही शॉर्ट कॉल (बेचने की सलाह) हटा दी थी, लेकिन निफ्टी के 5140 पर जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसी के मद्देनजर हमने कुछ ऐसी लांग कॉल (खरीदने की सलाह) दी हैं जिन्हें सबसे ज्यादा रक्षात्मक माना जाता है। जो कमजोर खिलाड़ी हैं, उन्हें हम बाजार से निकलने की चेतावनी दे चुके हैं। डेली ट्रेडरों के लिए इधर या उधर, दोनों तरफ जोखिम है। लेकिन जो निवेश के लिए खरीद कर रहे हैं, उन्हें कोई खतरा नहीं है।
बहुत से मिड कैप शेयरों में कारोबार/वोल्यूम बढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया है जो हमारी बात को सही साबित करता है। निफ्टी अब 5800 की मंजिल की तरफ कूच करेगा। मानसून की अब तक की प्रगति ने अर्थव्यवस्था की मुश्किलों के बारे में उठे सारे संदेहों को मिटा दिया है।
दरअसल, ब्याज दरें बढ़ाए जाने का अंदेशा है और हो सकता है कि कल बाजार बंद होने के बाद इसकी घोषणा हो जाए। इसी बीच एफआईआई ब्याज दर में वृद्धि के लिए खुद को कमोबेश ढाल चुके हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब बाजार थोड़ी डुबकी लगाए और वे पूरा ताकत से इसमें उतर पड़ें। म्यूचुअल फंडों पर सेबी चेयरमैन सी बी भावे के विचार घरेलू पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाएं देनेवाले फंडों के लिए इस बात का अच्छा इशारा हो सकते हैं कि उन्हें अब रिटेल निवेशकों पर ध्यान लगाना चाहिए। फिर भी और ज्यादा प्रोफेशनल नजरिए की जरूरत है क्योंकि पहले फ्रंट-रनिंग के वाकये हो चुके हैं और फंड मैनेजरों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा चुका है।
आज के हालात में खुद अपना डॉक्टर बनना बेहतर है। शेयरों को खरीदने-बेचने की सिफारिश पर ज्यादा गहरी तार्किक पैठ के लिए आपको हमारी रिसर्च रिपोर्टों का आसरा लेना होगा। जैसे, आरडीबी इंडस्ट्रीज के स्टॉक के सीधे धड़ाम से गिरने की चिंताएं जताई गई हैं। यह पूरी तरह ऑपरेटरों की तरफ से जान-बूझकर फैलाए गए कयास हैं। वे क्यों ऐसा कर रहे हैं, ये तो वही जानें। लेकिन हम आपको यह जरूर बता सकते हैं कि इस कंपनी का मूल्यांकन क्या है, और यह हमारी रिपोर्ट में होगा। पिछले दस सालों में हमने आरडीबी में अभी जैसा वोल्यूम और सौदों की तेजी (लिक्विडिटी) कभी नहीं देखी है। बहुत सीधा-सा सवाल है कि कौन ऐसा कर रहा है और क्यों?
बाजार पर फिर से लौटें तो मेरा कहना है कि अगर करेक्शन आता भी है तो यह थोड़े समय के लिए होगा और हर गिरावट को खरीद के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
हमें समय की सच्चाई में यकीन रखना पड़ेगा। नहीं तो इसका मतलब यही होगा कि हम जी नहीं रहे, बस सपना देख रहे हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)