दिसंबर की मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़े अगले हफ्ते के पहले दिन 16 जनवरी को आएंगे। लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों का यह मानना है कि यह दर 7.5 फीसदी पर आ जाएगी और रिजर्व बैंक मार्च के अंत तक इसे 7 फीसदी पर लाने का लक्ष्य आराम से हासिल कर लेगा। वैश्विक स्तर की वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस का तो मानना है कि यह घटकर 6.5 फीसदी पर आ जाएगी और अगले साल 2013 तक नीची ही बनी रहेगी।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण में अधिकांश विशेषज्ञों ने माना है कि दिसंबर में सकल मुद्रास्फीति की दर 7.5 फीसदी रहेगी। सर्वे में शामिल 27 अर्थशास्त्रियों ने 7 फीसदी से 8.6 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया। वैसे, केवल तीन अर्थशास्त्रियों ने इसके 8 फीसदी से ऊपर जाने का अनुमान लगाया है।
बता दें कि नवंबर 2011 में मुद्रास्फीति की दर 9.11 फीसदी रही है। यह दिसंबर 2010 से से ही 9 फीसदी के ऊपर चल रही है और मार्च 2010 के बाद से 13 बार बढ़ाई गई ब्याज दर भी इसकी बालबांका नहीं कर सकी है। रिजर्व बैंक 24 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा पेश करनेवाला है। लेकिन माना जा रहा है कि वह शायद ब्याज दरों में कमी न करे।
फिलहाल खाद्य मुद्रास्फीति ऋणात्मक हो चुकी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 24 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के बढ़ने के बजाय 3.36 फीसदी घट गई है।