वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भारत के लिए मुद्रास्फीति सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर इस साल 6.5 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है।
सोमवार को वॉशिंगटन में ‘भारत-अमेरिका आर्थिक व वित्तीय सहयोग’ पर आयोजित सम्मेलन में मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कई समस्याएं हैं और सबसे बड़ी चुनौती मुद्रास्फीति है।’’ सम्मेलन का आयोजन सीआईआई ने वॉशिंगटन के शोध संस्थान ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किया है।
भारत-अमेरिका आर्थिक व वित्तीय सहयोग पर विचार-विमर्श के लिए उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को यहां पहुंचे मुखर्जी ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति का दबाव बड़ी बाधा पैदा कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के साथ बेहतर आर्थिक वृद्धि भी हो रही है। मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये मौद्रिक व राजकोषीय नीति का उपयोग साथ-साथ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में वृद्धि की संभावना मौजूद है। बचत व निवेश दर उंची है। कई ढांचागत सुधार के लिए कदम उठाये गये हैं। इनके पूरा होने के बाद निवेश अनुकूल माहौल बनेगा जिससे दुनिया के विभिन्न भागों से निवेश आ सकेगा।’’ मुखर्जी ने कहा कि वैसे तो मुद्रास्फीति का 5 से 6 फीसदी रहना आदर्श स्थिति है लेकिन इस साल इसके 6.5 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि इसका कारण कृषि वस्तुओं की सप्लाई का कम होना है जिसे हम दूर करने के लिए कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य पदार्थों व ईंधन समेत जिंसों की ऊंची कीमत से समस्या उत्पन्न हो रही है।’’