चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले महीने अप्रैल में देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मात्र दो फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अर्थशास्त्री व अन्य विश्लेषक एक दिन पहले तक इसके 2.4 से 2.7 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान लगा रहे थे। महीने भर पहले मार्च में आईआईपी 2.5 फीसदी बढ़ा था। औद्योगिक उत्पादन के इस तरह उम्मीद से कम बढ़ने से शेयर बाज़ार को थोड़ी निराशा हुई और बीएसई सेंसेक्स 0.53 फीसदी और एनएसई निफ्टी 0.49 फीसदी गिर गया।
औद्योगिक उत्पादन में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का योगदान 75.52 फीसदी, खनन का 14.16 फीसदी और बिजली का योगदान 10.32 फीसदी है। अप्रैल 2013 में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर साल भर पहले की तुलना में 2.8 फीसदी रही है, जबकि बिजली उत्पादन 0.7 फीसदी बढ़ा है और खनन में 3 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में शामिल 22 उद्योगों में से 13 में विकास हुआ है, जबकि बाकी नौ में गिरावट आई है। सबसे ज्यादा 86.6 फीसदी बढ़त पहनने के कपड़ों, ड्रेसिंग व फर को डाई करने के उद्योग में हुई है, जबकि सबसे ज्यादा 38.9 फीसदी की गिरावट ऑफिस, एकाउंटिंग व कंप्यूटिंग मशीनरी उद्योग में आई है।
एक महीने पहले मार्च में औद्योगिक मोर्चे पर स्थिति अप्रैल से बेहतर थी। अप्रैल में कैपिटल गुड्स सेक्टर एक फीसदी बढ़ा है, जबकि मार्च में इसकी विकास दर 6.9 फीसदी थी। इसी तरह खनन क्षेत्र इस बार 3 फीसदी घटा है तो मार्च में यह 2.95 फीसदी बढ़ा था। बिजली उत्पादन इस बार 0.7 बढ़ा है, जबकि मार्च में इसकी बढ़त 3.5 फीसदी रही थी।
अर्थव्यवस्था की कमज़ोरी को जाहिर करता है यह आंकड़ा कि आठ प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योगों की विकास दर अप्रैल में साल भर पहले की तुलना में सुस्त होकर 2.3 फीसदी पर आ गई है, जबकि मार्च में यह दर 3.2 फीसदी रही है। इन उद्योगों का योगदान मैन्यूफैक्टरिंग क्षेत्र में तकरीबन 40 फीसदी है। अब अहम सवाल यह उठता है कि सोमवार, 17 जून को रिजर्व बैंक ब्याज दर में कमी करता है या नहीं। अगर नहीं तो शेयर बाज़ार में छाई निराशा बढ़ सकती है। जानकारों का कहना है कि जिस तरह रिजर्व बैंक के सामने गिरते रुपए को संभालने की चुनौती है, उसमें ब्याज दर में कमी के आसार बहुत कम हैं।