हम थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित थोक मुद्रास्फीति को मुद्रास्फीति ही कहें और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति को महंगाई मानें तो महंगाई की दर मई में घटकर 9.31 फीसदी पर आ गई है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मई 2013 में सीपीआई 129.2 दर्ज किया गया है, जबकि साल भर पहले मई 2012 में यह 118.2 रहा था। इस तरह इस सूचकांक के बढ़ने या महंगाई की दर 9.31 फीसदी रही है।
लगातार तीसरे महीने महंगाई की दर में गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल में इसकी दर 9.39 फीसदी, मार्च में 10.4 फीसदी और फरवरी में 10.9 फीसदी रही थी। मई के आंकड़ों के मुताबिक शहरी इलाकों में महंगाई 8.98 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 9.65 फीसदी रही है। इसमें भी चिंता की बात यह है कि अनाज व उससे जुड़ी चीजें गांवों में 21.25 फीसदी महंगी हुई हैं, जबकि शहरों में इनकी महंगाई 14.74 फीसदी रही है। कुल मिलाकर अनाज की महंगाई दर 16.29 फीसदी रही है जिसे आम लोगों के लिए कतई अच्छा नहीं माना जा सकता।
दिक्कत यह भी है कि दुनिया में लगभग हर बड़ा देश उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से निकली महंगाई को बैंकों की ब्याज दर तय करने का आधार बनाता है। लेकिन अपने यहां रिजर्व बैंक उस थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) को ब्याज दर तय करने का आधार बनाता है जो आम लोगों नहीं, बल्कि उद्योगों की खपत को मापता है। इसलिए आम लोगों की बचत बैंक या एफडी में रखने पर भी घटती जाती है। मई की थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर की घोषणा शुक्रवार, 14 जून को की जाएगी।
केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीकांत जेना ने बुधवार को सीएसओ द्वारा संकलित मई 2013 का (आधार 2010 = 100) अनंतिम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जारी किया। इस अवसर पर अप्रैल 2013 का अंतिम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी जारी किया गया। मई 2013 के दौरान पूरे देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ग्रामीण, शहरी और मिश्रित क्रमशः 129.8, 128.4 और 129.2 रहा है।