दुनिया के बाजारों में मांग बढ़ने से देश का निर्यात सालाना आधार पर मई महीने में 56.9 फीसदी बढ़कर 25.49 अरब डॉलर रहा। पिछले साल मई में यह 16.53 अरब डॉलर था। इसे अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत का माना जा रहा है। निर्यात बढ़ने की रफ्तार यदि यही रही तो चालू वित्त वर्ष में 300 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात कारोबार हो सकता है।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दो महीने में अप्रैल-मई के दौरान निर्यात पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 45.28 फीसदी बढ़कर 49.79 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार मई महीने में आयात 54.08 फीदी बढ़कर 40.91 अरब डॉलर रहा। इस प्रकार, व्यापार घाटा मई महीने में 14.9 अरब डॉलर रहा। यह सितंबर 2008 के बाद किसी एक महीने में हुआ सबसे बड़ा व्यापार घाटा है।
नोट करने की बात है कि इस मई में कच्चे तेल का आयात पिछली मई से 18.57 फीसदी बढ़कर 10.16 अरब डॉलर का रहा, वहीं गैर-तेल आयात 71 फीसदी बढ़कर 30.75 अरब डॉलर हो गया जिसमें बड़ा योगदान सोने और औद्योगिक मशीनरी का रहा है।
अप्रैल-मई के दौरान देश में हुए कुल आयात 33.3 फीसदी बढ़कर 73.74 अरब डॉलर रहा। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में व्यापार घाटा 23.95 अरब डॉलर रहा है। लेकिन बेहतर निर्यात आंकड़ों से चालू खाते के घाटे को कम करने में मदद मिलेगी जो पिछले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 फीसदी रहा था।
निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष रामू एस देवड़ा ने कहा, ‘‘यह मजबूत परिदृश्य का संकेत है।’’ उद्योग के अनुमान के अनुसार सरकार ने चालू वित्त वर्ष के निर्यात लक्ष्य नहीं रखा है। लेकिन 300 अरब डॉलर के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में देश का निर्यात 37.6 फीसदी बढ़कर 245.9 अरब डॉलर रहा है।