वर्ष 2003 में आठवें स्थान के मुकाबले वर्ष 2010 तक भारत दुनिया में कच्चे इस्पात (क्रूड स्टील) का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने सोमवार को अपने मंत्रालय से जुडी संसदीय सलाहकार समिति की अध्यक्षता करते हुए भरोसा जताया कि भारत साल 2015 तक दुनिया में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन सकता है। चीन तब भी सबसे ऊपर बना रहेगा।
बैठक में स्टील अथॉरिटी (सेल) के कामकाज की भी समीक्षा की गई। श्री वर्मा ने कहा कि स्पंज आइरन के उत्पादन में भारत ने विश्व में अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि इस्पात उद्योग सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग दो फीसदी का योगदान करता है और पांच लाख से अधिक लोगों को रोज़गार देता है। देश में प्रति व्यक्ति इस्पात उपभोग 2005-06 में 38 किलोग्राम था, जबकि पांच साल बाद 2010-11 में यह 55 किलोग्राम पर पहुंच गया। मंत्री महोदय ने आशा जताई कि 1991-92 और 2010-11 के बीच हासिल की गई आठ फीसदी की औसत सालाना वृद्धि के मुकाबले अगले पांच वर्षों में इस्पात की मांग में दस फीसदी से भी अधिक की औसत सालाना वृद्धि होगी।
लौह अयस्क संसाधनों के तेजी से घटने पर चिंता व्यक्त करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि लौह अयस्क ऐसा प्राकृतिक संसाधन हैं, जिसे फिर से नहीं बनाया जा सकता। इसलिए उनके मंत्रालय का मानना है कि इसका संरक्षण घरेलू इस्पात उद्योग के दीर्घकालिक इस्तेमाल के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लौह अयस्क के निर्यात के बजाय हमारी नीति देश के भीतर लौह अयस्क के मूल्यवर्धन की ओर लक्षित होनी चाहिए।