ज्यादा फूल रखा है गुब्बारा इक्रा का

मुंबई की लोकल ट्रेनों में गैंग बनाकर चलनेवाले यात्री जब करताल बजाकर गाना शुरू करते हैं तो समूचा कोच सिर पर उठा लेते हैं। पूरा माहौल विचित्र तरंग व उल्लास से भर जाता है। इतना ज्यादा कि कभी-कभी डर लगने लगता है। कुछ ऐसा ही हाल हमारे शेयर बाजार के डे-ट्रेडरों का है। इशारा मिला नहीं कि करताल बजाकर किसी शेयर को आकाश से पाताल या पाताल से आकाश तक पहुंचा देते हैं। हल्ला मचाते हैं क्विंटल भर का, लेकिन सत्व होता है तोला भर का।

कल भाई लोगों ने रेटिंग एजेंसी इक्रा के साथ ऐसा ही खेला किया। यह बी ग्रुप का स्टॉक है और बीएसई-500 में शामिल हैं। लेकिन इसमें डेरिवेटिव सौदे नहीं होते। फिर भी कल इसमें जबरदस्त उठापटक चली। एक तरफ इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर सुबह-सुबह 1.89 फीसदी गिरकर 875.05 रुपए पर चला गया जो अब इसके 52 हफ्ते का नया न्यूनतम स्तर है। दूसरी तरफ दोपहर तीन बजे तक यह 13.29 फीसदी उछलकर पिछले एक महीने के शिखर 1010.50 रुपए पर जा पहुंचा। एक दिन में 15 फीसदी से ज्यादा का स्विंग। इसमें सर्किट ब्रेकर 20 फीसदी ऊपर या नीचे होने पर लगता है।

कल इक्रा का शेयर आखिर में बीएसई (कोड – 531835) में 10.98 फीसदी बढ़कर 989.80 रुपए और एनएसई (कोड – ICRA) में 9.51 फीसदी बढ़कर 990.25 रुपए पर बंद हुआ है। लेकिन इस बढ़त के बीच इस तथ्य पर गौर करना जरूरी है कि कैश ग्रुप के इस शेयर में निवेश नहीं, विशुद्ध ट्रेडिंग हुई है। बीएसई में वोल्यूम रहा 48,033 शेयरों का जिसमें से डिलीवरी के लिए थे मात्र 3134 यानी 6.52 फीसदी। इसी तरह एनएसई में ट्रेड हुए 1,38,654 शेयरों में से 33,585 यानी 24.20 फीसदी शेयर ही डिलीवरी के लिए थे।

इक्रा को यूं दबाकर उठाने का उपक्रम तब किया गया, जबकि कल ही उसने सितंबर तिमाही के बकवास नतीजे घोषित किए हैं। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इक्रा की आय महज 5.28 फीसदी बढ़कर 35.30 करोड़ रुपए पर पहुंची है। लेकिन शुद्ध लाभ 35.34 फीसदी घटकर 8.80 करोड़ रुपए पर आ गया है। पिछली चार तिमाहियों से इक्रा का शुद्ध लाभ लगातार घट रहा है। दिसंबर 2010 की तिमाही में यह 20.38 फीसदी, मार्च 2011 की तिमाही में 20.20 फीसदी और जून 2011 की तिमाही में 63.16 फीसदी घटा था।

ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का इसका ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 33.27 रुपए निकलता है। वो भी इसलिए क्योंकि इसके जारी शेयरों की कुल संख्या मात्र एक करोड़ है। इसका शेयर इस समय 29.75 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह शेयर बाजार में लिस्टेड दूसरी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मौजूदा पी/ई अनुपात 38.07 से कम है। लेकिन गिरते धंधे को देखते हुए बहुत ज्यादा है। साल भर पहले 9 नवंबर 2010 को जब उसने पिछले पांच सालों का उच्चतम स्तर 1480 रुपए पर हासिल किया था, तब भी उसका पी/ई अनुपात 30.62 ही था। इसलिए इसका गुब्बारा लगातार चार तिमाहियों से मार खाने के बाद भी अभी तक फूला हुआ है।

कमाल की बात यह है कि इक्रा के धंधे में मंदा तब गहरा रहा है जबकि बैंकों में पूंजी पर्याप्तता की गणना हर ऋण की दी गई रेटिंग से जोड़ दी गई है। इससे रेटिंग एजेंसियों का धंधा काफी बढ़ जाना चाहिए था। इक्रा की सफाई यह है कि अगर उसने सितंबर तिमाही में कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन (ईएसओपी या ईसॉप) के खर्च में 4.56 करोड़ रुपए न डाले होते तो उसका लाभ 35 फीसदी नहीं, बल्कि 7 फीसदी ही घटता। दरअसल, इक्रा की प्रबंधन शैली में कुछ तो लोचा है जिसके चलते बाजी इसके हाथ से सरकती जा रही है।

इक्रा की कमान उसके उप-चेयरमैन और पूरे इक्रा समूह के सीईओ प्रणब कुमार चौधरी के हाथों में है जो बड़े ठस्स इंसान लगते हैं। हालांकि इक्रा लिमिटेड के प्रबंध निदेशक व सीईओ नरेश टक्कर उनकी तुलना में काफी तेजतर्रार हैं। असल में किसी भी कंपनी के प्रबंधन स्तर को नापना बहुत मुश्किल होता है। इस सिलसिले में करीब दो साल पहले जब एक प्रेस कांफ्रेंस में मैंने पी के चौधरी से पूछा था कि वे रेटिंग करते वक्त वित्तीय आंकड़ों से बाहर जाकर प्रबंधन की गुणवत्ता को कैसे नापते हैं तो उनका जवाब था कि हम तो कंपनी के ड्राइवरों तक से फीडबैक लेते हैं। मुझे उनका जवाब बहुत हवा-हवाई लगा था।

जिस तरह क्रिसिल अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की भारतीय सब्सिडियरी है, उसकी तरह इक्रा का भी अधिकतम स्वामित्व अंतरराष्ट्रीय एजेंसी मूडीज के पास है। कंपनी की 10 करोड़ रुपए की इक्विटी का 28.51 फीसदी भाग मूडीज के पास है। एफआईआई का निवेश इसमें 8.44 फीसदी का है, जबकि घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) ने इसके 43.67 फीसदी शेयर ले रखे हैं। पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक और एसबीआई के पास इसके 16.60 फीसदी शेयर हैं। एलआईसी व जीआईसी के पास 11.91 फीसदी शेयर हैं। इन सरकारी वित्तीय संस्थाओं का ही निवेश इक्रा में 28.51 फीसदी हो जाता है। इक्रा इम्प्लॉईज वेलफेयर ट्रस्ट के पास भी कंपनी के 5.74 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 19,806 है जिसमें से 18,168 (91.73%) छोटे निवेशकों के पास 8.69 फीसदी शेयर हैं।

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