एचएसआईएल में दम है हिंदवेयर का

सब वही। धंधा वही। बरक्कत वही। लेकिन बाजार ने किसी भी वजह से नजरों से गिरा दिया तो कंपनी का शेयर धड़ाम से नीचे आ जाता है। हरियाणा में गुड़गांव से संचालित होनेवाली कंपनी एचएसआईएल लिमिटेड के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। करीब नौ महीने पहले, 29 जुलाई 2011 को उसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर 245.80 रुपए पर इसलिए था क्योंकि बाजार से उसे एकबारगी चढ़ा दिया था और वो 19.71 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। वही शेयर अब 9.72 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा, जबकि इसी दरम्यान कंपनी के लाभार्जन को दर्शानेवाला प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 12.47 रुपए से बढ़कर 16.61 रुपए हो चुका है।

इसलिए कंपनी की मौलिक मजबूती के साथ ही हमें बराबर निगाह रखनी चाहिए कि उसके बारे में बाजार की समग्र धारणा क्या है। इस धारणा को महसूस किया जा सकता है। खबरों के प्रवाह और बन रहे माहौल से समझा जा सकता है, किसी रिसर्च के अनुपात या फॉर्मूले से नापा नहीं जा सकता। एचएसआईएल कंटेनर ग्लास और बिल्डिंग उत्पाद बनानेवाली करीब पचास साल पुरानी कंपनी है। हिंदवेयर उसका ब्रांड है जिसे बाथरूम वगैरह में आपके जरूर देखा होगा। कंपनी अब किचेन एप्लायंसेज भी बनाने लगी है। देश भर में उसकी पांच उत्पादन इकाइयां हैं, जिसमें से तीन आंध्र प्रदेश में और एक-एक राजस्थान व हरियाणा में है। आर के सोमानी कंपनी के प्रवर्तक और चेयरमैन व प्रबंध निदेशक हैं।

जुलाई में कंपनी का शेयर अचानक इसलिए उछल गया था क्योंकि बीते वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसकी बिक्री 41.18 फीसदी बढ़कर 304.78 करोड़ रुपए हो गई थी, जबकि शुद्ध लाभ 110.79 फीसदी की छलांग लगाकर 28.52 करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। 25 जुलाई को ये नतीजे आए और 29 जुलाई को कंपनी का शेयर ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अक्टूबर 2008 में यह शेयर 20 रुपए पर डोल रहा था। मई 2010 तक यह अधिकतम 91 रुपए तक गया था। उसके बाद तीन अंकों का आंकडा पार किया तो फिर दो अंकों में नहीं गया।

कल इसका शेयर बीएसई (कोड – 500187) में 161.55 रुपए और एनएसई (कोड – HSIL) में 161.35 रुपए पर बंद हुआ है। क्रिसिल रिसर्च ने एक ताजा रिपोर्ट में कंपनी को फंडामेंटल्स के आधार पर पांच में चार और मूल्यांकन के लिहाज से पांच से पांच का ग्रेड दिया है। इसका मतलब यह हुआ है कि कंपनी मूलभूत रूप से काफी मजबूत है और उसके शेयर में बढ़ने की पक्की गुंजाइश है। क्रिसिल के मुताबिक कंपनी के शेयर का एक साल का वाजिब मूल्य 222 रुपए है। हालांकि उसने कहा है कि यह मूल्य निवेश की सिफारिश नहीं है। लेकिन अगर खुदा-न-खास्ता यह वाजिब मूल्य हासिल हो गया तो एचएसआईएल का शेयर साल भर में 35 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दे सकता है।

कंपनी की मजबूती के लिए क्रिसिल ने वाजिब तर्क भी पेश किए हैं। जैसे, देश में सैनिटरीवेयर के संगठित बाजार में एचएसआईएल की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। कंटेनर ग्लास में राष्ट्रीय स्तर पर उसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 22 फीसदी और दक्षिण भारत में 75 फीसदी के आसपास है। कंपनी के पास देश भर में करीब 1550 डिस्ट्रीब्यूटरों और 15,000 रिटेलरों का नेटवर्क है। पिछले साल उसने पीईटी (पॉलि इथिलीन टेरेप्थलेट) बोतलें बनानेवाली कंपनी गार्डन पॉलिमर्स का अधिग्रहण किया। इससे उसकी स्थिति और मजबूत हो गई है। इसके अलावा होम रिटेल फर्निशिंग का उसका बिजनेस जल्दी ही फायदे में आ जाएगा। बता दें कि इस बिजनेस की हिस्सा कंपनी की समेकित आय में लगभग 30 फीसदी है। लेकिन इससे फिलहाल उसे घाटा हो रहा है।

बीते वित्त वर्ष 2011-12 की सितंबर तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 65.11 फीसदी बढ़ा था। लेकिन दिसंबर तिमाही में 6.27 फीसदी घट गया। क्रिसिल रिसर्च का मानना है कि 2013-14 तक 26 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से कंपनी की आय 2200 करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगी। हालांकि इस दौरान बिजली व ईंधन की लागत बढ़ने से कंपनी का सकल लाभ (इबिटा) थोड़ा घट जाएगा। फिर भी उसका ईपीएस 2010-11 के 10.7 रुपए से लगभग दोगुना होकर 2013-14 में 21.6 रुपए हो जाएगा। कंपनी का इक्विटी पर रिटर्न इस दौरान 12.4 फीसदी से 15.8 फीसदी पर पहुंच जाएगा।

शेयर के 222 रुपए वाजिब मूल्य का हिसाब यह है कि कैश फ्लो पद्धति के आधार पर कंपनी के अपने धंधे का मूल्य प्रति शेयर 195 रुपए और नई अधिग्रहीत कंपनी गार्डन पॉलिमर्स का 16 रुपए आंका गया है। काश, ऐसा ही हो जाता। यकीनन, कंपनी मजबूत धरातल पर खड़ी है। हिंदवेयर का जमाजमाया ब्रांड उसके पास है। डीएलएफ, ताज होटल्स, जीएमआर, आईटीसी होटल्स, महिंद्रा, पेप्सी, कोकाकोला, हिंदुस्तान यूनिलीवर, फाइज़र, इनफोसिस, नेस्ले व डाबर जैसी कंपनियों सीधे उससे अपनी जरूरत का माल खरीदती हैं। लेकिन शेयर के बढ़ने का सारा दारोमदार बाजार में कंपनी के प्रति बननेवाले माहौल व धारणा पर टिका है।

कंपनी की 13.21 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 51.57 फीसदी है, जबकि दिसंबर 2011 के अंत तक एफआईआई के पास इसके 22.57 फीसदी और डीआईआई के पास 2.33 फीसदी शेयर रहे हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 11,930 है। इसमें से 11,140 यानी 93.4 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के मात्र 9.96 फीसदी शेयर हैं। कंपनी में प्रवर्तकों के इतर एक फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखनेवाले आठ संस्थागत निवेशक हैं जिनके पास उसके 19.27 फीसदी शेयर हैं। कंपनी ने 2007 के बाद लगातार हर साल लाभांश दिया है। पिछला लाभांश सितंबर 2011 में उसने दो रुपए पर 2.50 रुपए यानी 125 फीसदी का दिया था। हालांकि लाभांश यील्ड उसका 1.55 फीसदी ही निकलता है।

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