मुंबई की एक बीपीओ कंपनी में कार्यरत 52 वर्षीय अंकुश सावंत के पास हालांकि अपने नियोक्ता की ग्रुप मेडीक्लेम पॉलिसी है। पिछले दिनों उन्हें लगा कि हेल्थकेयर के बढ़ती खर्च की वजह से आज के जमाने में परिवार के हर सदस्य के पास पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस कवर भी होना चाहिए। लेकिन बीमा एजेंट ने जब उन्हें प्रीमियम बताया तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। सावंत कहते हैं कि अगर यह हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी मैं 30 साल की उम्र में लेता तो मुझे एक-तिहाई प्रीमियम ही चुकाना पड़ता। सावंत के अनुभव में सच्चाई है। आज हरेक इंसान के पास पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस कवर होना आवश्यक माना गया है और इसे जल्दी ले लेना चाहिए क्योंकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, प्रीमियम भी बढ़ता है।
ग्रुप मेडिक्लेम बेजोड़ है: आपको एक बात जानकर अचरज होगा कि हेल्थ इंश्योरेंस में सबसे अच्छा कवर कोई इंडीविजुअल पॉलिसी नहीं है बल्कि यह तो ग्रुप मेडिक्लेम है। इसलिए एक अच्छी सलाह यह भी है कि अपने नियोक्ता की पॉलिसी में आप अपने सभी आश्रितों को शामिल करवाइए। ज्यादातर ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसी में प्री-एक्जिस्टिंग या पुरानी बीमारियां भी कवर की जाती हैं, जबकि इंडीविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस से इन्हें बाहर रखा जाता है।
इरडा के ताजा दिशानिर्देश: पिछले दिनों बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (इरडा) ने यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान-यूलिप के बारे में जो गाइडलाइन जारी की है उससे हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र में लड़ाई छिडऩे के आसार हैं। इरडा के मुताबिक पेंशन प्लान के अलावा यूलिप को पॉलिसीधारकों को हेल्थ कवर या मोर्टैलिटी कवर अनिवार्य रूप से मुहैया कराना होगा। इससे अब हेल्थ इंश्योरेंस के और भी ज्यादा कस्टमर फ्रेंडली होने के आसार बन गए हैं।
सबसे अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी: बहरहाल, यदि आपने इंडीविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस लेने का फैसला कर ही लिया है तो आपको सबसे पहले पता करना पड़ेगा कि कितने सम एश्योर्ड के लिए कौन-सी कंपनी कितना प्रीमियम ले रही है। आप 20 साल के हैं या 60 साल के, आपको कोई न को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी मिल सकती है। कुछ प्रमुख कंपनियां हैं – रॉयल सुंदरम, रिलायंस जनरल, अपोलो म्यूनिक, भारती अक्सा, स्टार हेल्थ, चोलमंडलम, फ्यूचर जेनराली, नेशनल इंश्योरेंस। इधर मैक्स बूपा भी काफी जोरशोर से सक्रिय हो गई है। आप इनकी वेबसाइट पर जाकार पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं और कुछ वेबसाइट हैं जो आपको इनकी पॉलिसियों का तुलनात्मक खाका भी पेश करती हैं।
सारे अध्ययन के बाद आप आप अपने लिए मुफीद योजना का चयन कर सकते हैं। वैसे, जानकारों की राय में हेल्थ इंश्योरेंस कवर की आदर्श स्थिति यह है कि आपके पास एक टर्म पॉलिसी, एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी और एक एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी होनी जरूरी है। और, यदि मामला निजी न होकर पारिवारिक है तो फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए।
कवर का दायरा: हेल्थ इंश्योरेंस एजेंट राम सुतार कहते हैं कि जब आप एक हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदते हैं तब यह देखना महत्वपूर्ण है कि इसके तहत क्या कवर नहीं होता है। इस हालत को इंश्योरेंस उद्योग की भाषा में एक्सक्लूजंस कहा जाता है। इस एक्सक्लूजंस को समझना जरूरी है। कोई भी पॉलिसी पहले से मौजूद (प्री-एग्जिस्टिंग) बीमारियों, यानी उन बीमरियों को को कवर नहीं करतीं जो पॉलिसी शुरू होने के समय मौजूद थीं। अमूमन ऐसी बीमारियों के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को भी कवरेज नहीं मिलता।
निश्चित अवधि के बाद: वैसे जमाना बदला भी है। लिहाजा आज के समय में कई हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं में पहले से मौजूद कुछ बीमारियों को भी कवर किया जाता है। पर ऐसा पॉलिसी के लगातार नवीनीकरण के बाद ही हो पाता है और पहले से ही मौजूद बीमारी के इलाज पर हुए खर्च की दशा में कोई क्लेम नहीं दिया जाता।
क्या है अच्छी नीति: परिवार के हर सदस्य के लिए अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की बजाय आप फैमिली फ्लोटर पॉलिसी को तरजीह दें। इसमें कवर की लागत पूरे परिवार के सदस्यों में बांटी जा सकती है। यानी आप एक-एक लाख रुपए की तीन पॉलिसियां लेने की बजाय, तीन लाख रुपए की एक फैमिली फ्लोटर पॉलिसी ले सकते हैं। बल्कि आप थोड़े कम यानी ढाई लाख रूपए की फैमिली फ्लोटर पॉलिसी भी ले सकते हैं। क्योंकि इस बात की संभावना बहुत कम होगी कि परिवार के सारे सदस्य एक साथ ही बीमार पड़ जाएं।
रिवॉर्ड की व्यवस्था भी: ऑटो इंश्योरेंस की तरह अब हेल्थ पॉलिसियों में भी हरेक क्लेम-फ्री साल के लिए रिवॉर्ड की व्यवस्था रहती है। यह रिवॉर्ड आपकी पॉलिसी के सम एश्योर्ड में बढ़ोतरी हो सकता है या फिर बीमा कंपनी आपको फ्री हेल्थ चेकअप के लिए भेज सकती है। तो, स्वस्थ रहिए, सानंद रहिए। आकस्मिता के लिए भगवान का नहीं, बीमा का सहारा लीजिए।
– राजेश विक्रांत (लेखक एक बीमा प्रोफेशनल हैं)
बहुत ही काम की जानकारी ।
OK
प्रिमियम माहीती नाही कव्हर माहीती नाही फारच अपुरी माहीती