बाजार में विश्वास का स्तर एकदम डूबने की कगार पर पहुंच चुका है। इस बीच कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी ने डीएमके के पराभव के बाद पहली बार जयललिता की तरफ हाथ बढ़ाया है। लगता है कि जैसे मैडम इसी दिन का इंतजार कर रही थीं। अगर गठबंधन सत्ताधारी पार्टी की मजबूरी है तो विधानसभा चुनावों के नतीजों ने रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार व घोटाले के इस माहौल में यकीकन उसकी मजबूरी को थोड़ा हल्का किया है।
मुझे नहीं लगता कि बाजार यहां से ज्यादा नीचे जाएगा। दूसरी तरफ, बढ़ने की गुंजाइश ज्यादा है और इस सिलसिले में कुछ सकारात्मक खबरें आ सकती हैं।
पेट्रोल के दाम का बढ़ना निश्चित रूप से घरेलू खर्च पर असर डालेगा जिससे एफएमसीजी सेक्टर प्रभावित होगा क्योंकि मध्यवर्ग हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अगर वो कार को आवश्यकता मानकर अब भी उसे नहीं छोड़ पाता तो उसे दूसरे खर्चे घटाने होंगे। खाद्य वस्तुओं की महंगाई पहले ही उसका बजट काफी बिगाड़ चुकी है। अब पेट्रोल उसकी हालत और खराब कर देगा।
शेयर बाजार निरंतर चलनेवाली सजीव संस्था है। इसलिए वहां अवसर तो हमेशा रहते हैं क्योंकि बाजार बंद नहीं होने जा रहा। जब बैंकिंग व ऑटो सेक्टर अच्छे चल रहे थे, तब एफआईआई फार्मा की तरफ मुड़ गए। यह बात फार्मा सेक्टर के शेयरों में आई सक्रियता से देखी जा सकती है। इस मायने में हम सच को समझने और बाजार को भांपने वालों में हमेशा की तरह सबसे आगे थे। हमने सबसे पहले ऑर्किड केमिकल्स में खरीद की कॉल 190 रुपए पर दी और यह स्टॉक उसके बाद कभी नीचे नहीं गया है। अभी 316.50 रुपए पर है।
फिर हमने रैनबैक्सी में 462 रुपए के स्तर पर अपना पूरा ध्यान लगा दिया। यह स्टॉक भी औरों से आगे निकल चुका है। आज ही 5.49 फीसदी बढ़कर 518.85 रुपए पर पहुंच गया। हालांकि पिछले महीने जब यह 431 रुपए तक गिर गया था तो जरूर चिंता हो गई थी। आज से हमने ग्लेनमार्क फार्मा में खरीद की सलाह शुरू की है। वो भी अच्छा उठा है। आज उसमें 11.54 फीसदी की शानदार बढ़त दर्ज की गई है। हमें यकीन है कि डिवीज लैब में दी गई हमारी कॉल एक निश्चित अंतराल में अपना रंग दिखाएगी, निराश नहीं करेगी।
इस समय ऑर्किड केमिकल्स के डेरिवेटिव्स में 95 फीसदी की सीमा लगी हुई है और वो पूरी तरह वन-मैन आर्मी (केतन पारेख) के कब्जे में है। कोई भी एजेंसी उसे इस स्टॉक को 350 रुपए तक ले जाने से नहीं रोक सकती। 95 फीसदी का बैंड या सीमा एफ एंड ओ स्टॉक्स को घेरने का एक और जरिया है। यहां तक कि पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन को 95 फीसदी के बैंड में रखा गया था ताकि उसका एफपीओ सही से निपट जाए।
निफ्टी चुनाव नतीजों के बाद 5600 तक चला गया था। लेकिन आज फिर 5500 के नीचे चला गया। अब हम सेटलमेंट के दूसरे हिस्से में प्रवेश कर रहे हैं और कुछ दिनों में रोलओवर का कष्ट शुरू हो जाएगा। बाजार शॉर्ट सौदों से पटा पड़ा है। इसलिए रोलओवर पर बाजार बढ़ेगा। चालू सेटलमेंट के दौरान ट्रेडरों को हर बढ़त पर निकल जाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें बाजार में दोबारा एंट्री तब करनी चाहिए, जब निफ्टी 5750 का स्तर पार कर जाए। निवेशकों को अभी अपनी बारी आने का इंतजार करना चाहिए।
गलतियों में जिंदगी बरबाद कर देना ज्यादा अच्छा है, बनिस्बत इसके कि बिना कुछ किए उसे हाथ से सरक जाने दिया जाए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का paid कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)