जारी है पीटकर पकड़ने का खेल

दुनिया और घरेलू बाजार को लेकर जितनी भी चिंताएं जताई जा रही हैं, वे सभी अतिरंजित हैं, काफी ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर उन्हें पेश किया जा रहा है। पूंजी बाजार में घोटाले का शोर है, लेकिन यह घोटाला कितने का है, इसका कोई बड़ा आंकड़ा सामने नहीं आया है। हां, इतना जरूर हुआ है कि आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर ने बाजार के माहौल को बड़ा संगीन व डरावना बना दिया है।

आखिर पुराने फ्रॉड और घोटालों पर चर्चा करने का क्या तुक है! अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो पहली चीज जो सबके सामने लाई जानी चाहिए वो यह है कि पैसे की धारा कहां से चलकर कहां तक पहुंची है। यह सच है कि फाइनेंसरों ने एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों और कुछ ऑपरेटरों के कपड़े तक उतरवा लिए हैं। लेकिन इसके अलावा बाकी सब कुछ बहुत शांत है।

इस शांति में कुछ निराले खेल हो रहे हैं। ऐसे स्टॉक्स को भी किसी न किसी बहाने या बिना किसी वजह के भी धुन दिया जा रहा है जिनका पी/ई अनुपात 10 से नीचे चल रहा है। अगर 30 से ज्यादा पी/ई वाले शेयरों को गिराया जाता तो बात समझ में आती क्योंकि उनका मूल्यांकन यकीनन ज्यादा है। लेकिन 7-8 पी/ई वाले शेयरों को एकबारगी गिरा देना चौंकानेवाला है। लगता है कि उसके पीछे कोई खेल है ताकि कुछ लोग और भी सस्ते दामों पर इन संभावनामय स्टॉक्स को पकड़ लें। मुनाफे को अधिकतम करने के खेल की बिसात बिछाई जा रही है।

इस समय तो रिटेल और एचएनआई निवेशक चाहें भी तो नहीं खरीद सकते क्योंकि वे बहुत कुछ गंवा चुके हैं। उनके पास निवेश करने को रकम ही नहीं बची है। इस बीच एफआईआई बड़े पैमाने पर खरीद या यूं कहिए कि बटोर रहे हैं। वैसे, अगर भावों पर गौर किया जाए तो बहुत सारे स्टॉक अब तक तलहटी पर पहुंच चुके हैं। आखिर उनको अब और कितना धुना जा सकता है? इससे यह लगता है कि तकलीफ का दौर हमेशा के खत्म हो गया है।

जो कहीं फंस गए हैं और शेयरों को अभी तक होल्ड करके रखे हुए हैं, वे भी भाव फिर से चढ़ने पर बेचकर निकल जाएंगे। और, फिर वही पुरानी कहानी दोहराई जाएगी। सेंसेक्स के 8000 से 21,000 तक पहुंचने की यात्रा याद कर लीजिए। इतना तय मानिए कि इस बार भी बाजार धमाके को तैयार बैठा है। यह अलग बात है कि इस समय तो उठते बाजार में भी कोई पैसा नहीं बना पा रहा क्योंकि हर कोई अपनी-अपनी समस्याएं सुलझाने में लगा है, हर कोई अपना ही घर संभालने में लगा है।

कोई समस्या एक दिन में नहीं बनती। विकराल होने पर उससे निपटना मुश्किल है। लेकिन बनने के हर चरण पर उससे निपटा जा सकता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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