टैक्स की ज्यादा मार, घटता एफडीआई!

जीडीपी की विकास दर घटने को दो अन्य वजहें ज्यादा संगीन है और भारत की विकासगाथा पर कुठाराघात करती हैं। सरकार टैक्स संग्रह बढ़ने को अपनी नीतियों की सफलता बताती है। जैसे, नवंबर में जीएसटी से ₹1,82,269 करोड़ मिले तो उसने खूब वाहवाही लूटी। लेकिन अवाम से ज्यादा टैक्स वसूलना देश के विकास के लिए घातक है। हमारे यहां केंद्र से लेकर राज्य व लोकल टैक्सों को मिला दें तो वे जीडीपी का 19% बनते हैं, जबकि पूर्वी एशिया का औसत 17% है। चीन में यह अनुपात 16% और वियतनाम में तो 13% ही है। इन देशों की प्रति व्यक्ति आय भारत से कहीं ज्यादा है। टैक्स की ज्यादा मार लोगों की खपत व खर्च घटा देती है। तीसरी वजह है केंद्र सरकार द्वारा द्विपक्षीय निवेश संधियों (बीआईटी) से पीछे हट जाना। विकसित भारत के लिए जितना महत्व इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का है, उतना ही महत्व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का है। लेकिन सरकार की नीतियों के चलते देश में एफडीआई बराबर घट रहा है। बीते वित्त वर्ष 2023-24 में यह पांच साल के सबसे कम स्तर 44.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस साल अप्रैल-सितंबर की छमाही में यह ज़रूर 45% बढ़कर 29.79 अरब डॉलर हो गया, लेकिन पिछले साल के छोटे आधार की वजह से। अब शुक्रवार का अभ्यास…

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