सुप्रीम कोर्ट ने पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को सहारा समूह की दो कंपनियों के ओएफसीडी इश्यू की तहकीकात जारी रखने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि हो सकता है कि निवेशकों को इन उत्पादों (डिबेंचरों) का कोई आगा-पीछा ही न मालूम हो और वे बाद में खुद को हर्षद मेहता जैसी धोखाधड़ी का शिकार हुआ महूसस करें।
कोर्ट ने गुरुवार को सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन के ओएफसीडी (ऑप्शनी फुली कनवर्टिबल डिबेंचर) इश्यू से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “हमारा मानना है कि ओएफसीडी के सवाल पर सेबी के फैसले की जरूरत है। इस पर सेबी सुनवाई करे और आदेश सुनाए।” हालांकि अदालत ने कहा कि सेबी का कोई भी आदेश तभी अमल में आएगा जब सुप्रीम कोर्ट उस पर हामी भरेगा।
इस मामले पर प्रधान न्यायाधीश एस एच कापडिया की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ गौर कर रही है। पीठ का कहना था कि निवेशक सहारा की इन कंपनियों की स्कीम को समझते नहीं हैं और बाद में हो सकता है कि 1990 के दशक के हर्षद मेहता घोटाले की तरह खुद को ठगा हुआ पाएं। पीठ ने कहा कि हम ओएफसीडी पर सेबी का आदेश देखना चाहते हैं, हालांकि यह आदेश अपने आप लागू नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को भी उस मामले की सुनवाई जारी रखने को कहा जिसमें सहारा समूह ने निवेशकों का ब्यौरा मांगने के सेबी के निर्देश को चुनौती दी है। गुरुवार को कार्यवाही के दौरान कोर्ट ने सहारा से यह भी जानना चाहा कि वह किस कानून के तहत ओफएफसीडी स्कीम चला रहा है।
सहारा के वकील ने ओएफसीडी को समझाने की कोशिश की, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय उनकी व्याख्या से संतुष्ट नहीं हुआ। पीठ ने कहा, “आज तक, हम नहीं जानते कि ओएफसीडी क्या है तो कोई आम निवेशक कैसे इसे जान सकता है। हम इस पर सेबी का फैसला चाहते हैं। हम जानना चाहते हैं कि आप किस आधार पर ओएफसीडी में लोगों से निवेश ले रहे हैं।”
पीठ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि यह स्कीम गांवों के लोगों के लिए चलाई जा रही है जो इसके बारे में कुछ नहीं समझते। पीठ का कहना था, “निवेशक ओएफसीडी के बारे में वाकिफ नहीं हैं। अंततः होगा यह कि वे कहेंगे कि उनके साथ धोखा हुआ है… आप हर्षद मेहता कांड जानते हैं। इसी तरह का जाल वहां भी चलाया गया था। निवेशकों को स्कीम के बारे में कुछ पता नहीं था।”
कोर्ट ने बार-बार सहारा समूह से ओएफसीडी स्कीम के वे सभी ब्रोशर व अन्य प्रासंगिक सूचनाएं उपलब्ध कराने को कहा जिन्हें वह अपने एजेंटों के जरिए निवेशकों को दे रहा है। अदालत ने पिछली सुनवाई में सहारा समूह से स्कीम के एजेंटों की पूरी सूची भी मांगी थी। लेकिन यह पता नहीं लग सका कि उसने कोर्ट को यह सूची दी है कि नहीं। सहारा के वकील बार-बार यही दलील देते रहे कि ओएफसीडी स्कीम सेबी एक्ट के अंतर्गत नहीं आती। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इससे रद्दी भर भी सहमत नहीं हुआ।