जीटीएल आधा हुआ, दोगुना भी होगा

यूं एक ही दिन में किसी शेयर का आधे से भी कम भाव पर आ जाना अकारण नहीं होता। अगर 7 जनवरी 2009 को सत्यम कंप्यूटर का शेयर 84 फीसदी गिरकर 188.70 रुपए से 30.70 रुपए पर आया था तो इसलिए कि उसी दिन रामालिंगा राजू ने कंपनी में किए गए फ्रॉड की घोषणा की थी। लेकिन 20 जून 2011 को जीटीएल के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था कि उसका शेयर 339.90 रुपए से 63.5 फीसदी गिरकर 124.10 रुपए पर आ जाता। असल में इस शेयर को दबाने का क्रम तो शुक्रवार 17 जून को ही शुरू हो गया था, जब इसे 16.5 फीसदी तोड़कर 406.95 रुपए से 339.90 रुपए पर ले आया गया था। जीटीएल बीएसई-200 सूचकांक में शामिल है तो इस पर ऊपर-नीचे कोई सर्किट नहीं लगता।

शुक्रवार को सुगबुगाहट थी जो सोमवार को जबरदस्त अफवाह बन गई कि जीटीएल के प्रवर्तक कंपनी के कर्जों की अदायगी के लिए अपनी 50 फीसदी हिस्सेदारी गिरवी रख चुके हैं और वे भारी मात्रा में अपने शेयर बेच रहे हैं। चर्चाएं चलाई गईं कि कंपनी न तो अपने कर्जदाताओं और न ही डीलरों को समय पर अदायगी कर पा रही है। वह विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबी) के भुगतान तक में डिफॉल्ट करने लगी है। फिर निर्णायक शोर उठा कि कंपनी में मॉरीशस के निवेशक अपनी पूंजी निकाल रहे हैं। नोट करने की बात यह है कि कल बीएसई में जीटीएल के 2.22 करोड़ शेयरो में कारोबार हुआ जिसमें से 17.61 फीसदी ही डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में ट्रेड हुए 5.12 करोड़ शेयरों में से 17 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।

अफवाहों से उपजे इस खेल और बवंडर में जीटीएल का शेयर कल बीएसई (कोड – 500160) में 62.40 फीसदी गिरकर 127.80 रुपए और एनएसई (कोड – GTL) में 62.18 फीसदी गिरकर 127.95 रुपए पर बंद हुआ है, जबकि इस शेयर की मौजूदा बुक वैल्यू ही 128.78 रुपए है। नवीनतम नतीजों के अनुसार उसका सालाना ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) कंसोलिडेटेड आधार पर 19.06 रुपए और स्टैंड-अलोन आधार पर 14.37 रुपए है। इस तरह कल की गिरावट के बाद जीटीएल का शेयर 8.89 के पी/ई पर पहुंच गया है। कंपनी की असली स्थिति देखने से पहले जरूरी है कि परख लिया जाए कि उसके बारे में जो-जो उड़ाया गया, उसमें कितना सच है।

सबसे पहले, प्रवर्तकों द्वारा कंपनी के शेयरों को गिरवी रखे जाने की बात। कंपनी की इक्विटी पूंजी 97.27 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के 9,72,67,833 शेयरों में विभाजित है। इसमें से प्रवर्तकों के पास 5,10,99,199 यानी 52.53 फीसदी शेयर हैं। 31 मार्च 2011 तक की सूचना के अनुसार प्रवर्तकों ने इसमें से 1.25 करोड़ शेयर गिरवरी रखे हुए हैं जो प्रवर्तकों की हिस्सेदारी का 24.46 फीसदी और कंपनी की कुल इक्विटी का 12.85 फीसदी बनता है। कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक तिरोडकर ने कल साफ किया और स्टॉक एक्सचेंज को सार्वजनिक सूचना भी भेजी कि प्रवर्तकों या उनसे जुड़े किसी निकाय ने न तो सामान्य और न ही अपने गिरवी रखे गए कोई शेयर बेचे हैं।

असल में प्रवर्तकों ने मार्च से अब तक के करीब तीन महीनों में अपनी इक्विटी बढ़ाकर 52.71 फीसदी कर ली है। सूत्रों के मुताबिक वे बराबर बाजार से जीटीएल के शेयर खरीद रहे हैं। एक सीमा के बाद वे बायबैक की घोषणा कर सकते हैं जिसमें प्रति शेयर अनुमानित मूल्य 250 रुपए रखा जा सकता है। अंततः उनकी योजना कंपनी को डीलिस्ट कर देने की हैं। अगर इसमें जरा-सा भी सच है तो अभी 128 रुपए तक आ गया शेयर लगभग दोगुना होकर 250 रुपए तो दे ही सकता है।

दूसरी बात, कंपनी के बारे में हल्ला उठा कि वह एफसीसीबी में डिफॉल्ट कर रही है। हकीकत यह है कि इन बांडों का कोई भी विमोचन नवंबर 2012 तक होना ही नहीं है, फिर डिफॉल्ट का सवाल ही कहां उठता है। तीसरी बात कि कंपनी के बड़े निवेशक, खासकर मॉरीशस के निवेशक अपना धन निकाल रहे हैं। बीएसई पर उलबल्ध सूचना के अनुसार पब्लिक की श्रेणी में आनेवाले कंपनी के नौ बड़े निवेशक हैं जिनके पास उसके कुल 16.63 फीसदी शेयर हैं। इनमें मॉरीशस के पते वाले दो निवेशक सिटी ग्रुप ग्लोबल (1.49 फीसदी) और बारक्लेज कैपिटल (1.03 फीसदी) हैं। कंपनी के सीएमडी तिरोडकर के मुताबिक मॉरीशस की कंपनी टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर ने जीटीएल में 11 फीसदी इक्विटी ले रखी है। लेकिन बीते हफ्ते शुक्रवार को ही टेक्नोलॉजी इंफ्रा के लोगों ने आश्वस्त किया है कि उनका निवेशक दीर्घकालिक है और वे जीटीएल में बने रहेंगे।

आखिरी बात यह है कि कंपनी के पास कैश नहीं है। वह कर्ज की अदायगी नहीं कर पा रही है। यही नहीं, उसने बाजार के हालात को देखते हुए संस्थागत निवेशकों से 30 करोड़ डॉलर जुटाने की योजना भी रद्द कर दी है। इन मसलों पर तिरोडकर ने सफाई दी है कि अभी तक इस तरह धन जुटाने के लिए कंपनी ने कोई रोड-शो ही नहीं किया था तो योजना को रद्द करने का सवाल बेमानी है। वैसे भी, बाजार की स्थितियां ऐसी कोशिश की इजाजत नहीं देतीं। कैश की स्थिति यह है कि 31 मार्च 2011 तक कंपनी के पास 1294 करोड़ रुपए का कैश व बैंक बैलेंस था।

मालूम हो कि जीटीएल लिमिटेड ग्लोबल ग्रुप की कंपनी है। उसकी 52.18 फीसदी इक्विटी ग्लोबल होल्डिंग कॉरपोरेशन के पास ही है। ग्लोबल ग्रुप दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में मौजूद है। उसके पास 32,000 से ज्यादा टेलिकॉम टावर हैं। जीटीएल की सहयोगी कंपनी जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर ने इसी साल जनवरी में एयरसेल के 17,500 टेलिकॉम टावर 8400 करोड़ रुपए में खरीदे हैं। बात बहुत सीधी-सी है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सामने आने के बाद टेलिकॉम काफी दबाव में है। फिर ऊंची ब्याज दरों और प्रति यूजर कम आय का भी मामला है। लेकिन दो-तीन साल में हालात निश्चित तौर पर बदलेंगे।

जहां तक जीटीएल में निवेश के बढ़ने की बात है तो जो शेयर पिछले हफ्ते तक 410 रुपए में मिल रहा था, वह अभी 130 रुपए में मिल रहा हो तो यह कितना बढ़ सकता है, इसकी गणना आप खुद ही कर कर सकते हैं। लेकिन निवेश से पहले जीटीएल को गिराने में लगे लोगों की ताकत का ही अंदाजा लगा लेना चाहिए। बाकी, आप खुद समझदार हैं।

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