गोदावरी पावर एंड इस्पात लिमिटेड (बीएसई – 532734, एनएसई – GPIL) बी ग्रुप की कंपनी है। किसी सूचकांक में शामिल नहीं तो शेयर बाजार में मची हायतौबा से बाहर है। बाजार गिरे या बढ़े, उस पर फर्क जरूर पड़ता है, लेकिन ज्यादा नहीं। जैसे कल सेंसेक्स 1.33 फीसदी गिर गया, जबकि उसमें आई गिरावट 0.58 फीसदी ही रही। उसमें सेंसेक्स जैसा भारी उतार-चढ़ाव भी नहीं है। वह 193.25 से 198.95 रुपए के सीमित दायरे में सुकून से चलता रहा और बंद हुआ 197.35 रुपए पर। वैसे, पिछले चार महीनों से यह शेयर बराबर धीरे-धीरे गिर रहा है। 22 जुलाई को 255-56 पर था, 23 अगस्त को 234-35 पर आ गया, 24 सितंबर को 210-11, 25 अक्टूबर को 213-14 और अब 23 नवंबर को 197-78 पर आ गया है। इस दौरान इसमें निवेशकों की दिलचस्पी भी घटती गई है, जिसका अंदाजा घटते गए वोल्यूम से लगाया जा सकता है।
इसका एक कारण यह है कि कंपनी के सितंबर तिमाही के नतीजे बहुत अच्छे नहीं, बल्कि खराब रहे हैं। उसकी आय 137 करोड़ है जो जून 2010 की तिमाही से 17.5 फीसदी और सितंबर 2009 की तिमाही से 10 फीसदी कम है। इस बार उसका शुद्ध लाभ 7.2 करोड़ रुपए रहा है, जबकि जून तिमाही में 13.21 करोड़ रुपए था। लेकिन खराब नतीजे तात्कालिक हैं और जिनकी वजहें भी तात्कालिक रही हैं। कंपनी के पास लौह अयस्क की अपनी खदाने हैं और उसके उत्पादों में स्टील, पैलेट से लेकर बिजली तक शामिल है। इसलिए उसमें लंबे समय का निवेश फायदे का सौदा साबित होगा।
वैसे भी कंपनी मजबूत वित्तीय धरातल पर खड़ी है। उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू 178.12 रुपए है यानी शेयर के भाव से मात्र 20 रुपए कम और अनुपात लगभग 1:1 का। कंपनी का टीटीएम ईपीएस 20.07 रुपए है और उसका शेयर 9.83 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। अगर यह 12-13 भी हुआ तो शेयर 250-260 तक मजे में जा सकता है। वैसे भी इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 319.80 रुपए का है जो उसने इसी साल 26 अप्रैल को हासिल किया था। अगर हम अभी इसे खरीदते हैं तो साल भर में यह 30 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दे सकता है।
आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज ने करीब दो हफ्ते पहले जारी एक रिसर्च रिपोर्ट में गोदावरी पावर एंड इस्पात का अनुमानित ईपीएस चालू वित्त वर्ष 2010-11 में 26.1 रुपए और अगले वित्त वर्ष 2011-12 में 42.8 रुपए रखा है। इससे मोटा अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह शेयर मार्च 2012 तक 400 रुपए के ऊपर होगा। यानी दो साल मे दोगुना। कंपनी की इक्विटी 26.9 करोड़ रुपए है जो दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 58.97 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास और 6.98 फीसदी एफआईआई व 5.43 फीसदी डीआईआई के पास है। हां, कंपनी 2007 के बाद से हर साल प्रति शेयर दो-ढाई रुपए का लाभांश देती रही है।