जुआरी इंडस्ट्रीज का शेयर कल बीएसई (कोड – 500780) में 2.50 फीसदी गिरकर 689.05 रुपए और एनएसई (कोड – ZUARIAGRO) में 2.78 फीसदी गिरकर 689.90 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 52.48 रुपए है और इस हिसाब से उसका शेयर 13.13 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 400.14 रुपए है। बी ग्रुप का शेयर है। कल बीएसई में इसमें औसत से करीब चार गुना 21,750 शेयरों में कारोबार हुआ जिसमें से 27.71 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में 61,983 शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 21.94 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।
शेयर का 52 हफ्ते का शीर्ष भाव 895 रुपए है जो उसने 25 अक्टूबर 2010 को हासिल किया था, जबकि न्यूनतम स्तर 419 रुपए का है जहां वह 9 फरवरी 2010 को पहुंचा था। पिछले एक महीने में यह 9.15 फीसदी बढ़ा है। 6 दिसंबर को 631.30 रुपए पर बंद हुआ था, जबकि 5 जनवरी को बंद भाव 689.05 रुपए का है। जानकारों का गणित है कि यह अप्रैल-जून की अगली तिमाही में 795 रुपए तक जा सकता है यानी इसमें 15 फीसदी से ज्यादा बढ़त की संभावना है।
जुआरी इंडस्ट्रीज के के बिड़ला समूह की कंपनी है। खेती-किसानी के काम में आनेवाले उर्वरक – यूरिया, डाई अमोनियम फॉस्फेट और पोटाश के साथ ही कीटनाशक भी बनाती है। 1973 में इसने गोवा में अपना पहला प्लांट लगाया था। अब वहां इसके चार प्लांट हैं। कंपनी गोवा के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में अपने उत्पाद बेचती है। कंपनी के चेयरमैन सरोज कुमार पोद्दार हैं। वे स्वर्गीय के के बिड़ला के दामाद हैं। पोद्दार चंबल फर्टिलाइजर्स के भी चेयरमैन हैं। बता दें कि चंबल फर्टिलाइजर्स का शेयर अभी 86.75 रुपए पर चल रहा है और उसका पी/ई अनुपात 12.93 है जो जुआरी इंडस्ट्रीज के पी/ई अनुपात 13.13 से थोड़ा कम है। लेकिन दोनों में जुआरी इंडस्ट्रीज ज्यादा दमदार कंपनी है।
जुआरी इंडस्ट्रीज ने 2009-10 में 4323.73 करोड़ रुपए की आय पर 156.96 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष में सितंबर 2010 की तिमाही में उसकी आय 2096.98 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 81.36 करोड़ रुपए है। कंपनी ने चार साल पहले अपना सीमेंट बिजनेस संयुक्त उद्यम पार्टनर इटैलसीमेंटी को बेच दिया था। लेकिन नॉन-कम्पीट करार की मीयाद बीत जाने के बाद वह फिर से सीमेंट के कारोबार में उतरने जा रही है।
कंपनी ने उर्वरक संयंत्र के क्षमता विस्तार, सीमेंट व रीयल एस्टेट पर करीब 6750 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रखी है। मोटी-सी बात है कि देश में कृषि एक ऐसा क्षेत्र में है जिसमें अब भी विकास की अनंत संभावनाएं हैं और कृषि आधारित कंपनी होने के कारण जुआरी इंडस्ट्रीज का विकास भी अच्छा-खासा होना है। कंपनी के इतिहास और वर्तमान को देखते हुए उसमें निवेश करना लाभप्रद हो सकता है।
कंपनी की इक्विटी 29.44 करोड़ रुपए है। इसका 34.37 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि एफआईआई के पास 5.52 फीसदी और डीआईआई के पास 20.39 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के बड़े निवेशकों में एक नाम ओएसआई लिमिटेड का है जिसके पास इसके 23.82 फीसदी शेयर हैं। बाकी एलआईसी (4.59 फीसदी), जीआईसी (1.92 फीसदी), न्यू इंडिया एश्योरेंस (1.51 फीसदी), रिलायंस कैपिटल ट्रस्टी (1.70 फीसदी), आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल (1.36 फीसदी) और सिटीग्रुप ग्लोबल (1.30 फीसदी) भी इसके बड़े निवेशकों में शामिल हैं। कंपनी पिछले पांच सालों से लगातार दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर दो रुपए से लेकर 4.50 रुपए तक लाभांश देती रही है।
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