साध्य या साधन

भगवान और धर्म की शुरुआत समाज में सुख-शांति के साधन के रूप में हुई थी। सदियों तक सब कुछ राजी-खुशी चलता रहा। समस्या तब से शुरू हुई जब इन्हें साधन के बजाय साध्य बना दिया गया।

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